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Showing posts from October, 2018

धारणा : चारों वेदों के ज्ञाता ,महापंडित लंकापति रावण

हम कभी कभी किसी के भी बारे में सुनकर अपनी एक धारणा बना लेते हैं ।उसके बाद चाहे हमें कुछ भी कहा जाए वह धारणा  सदा ही कायम रहती है, उसे परिवर्तित होने में बहुत समय लगता है, और उसके लिए हमें बहुत से तर्क और प्रमाण देने पड़ते हैं। लंकापति रावण के बारे में हम लोग सब जानते हैं लेकिन उन के जितने विद्वान ,चारों वेदों के ज्ञाता, अपनी मर्यादा का पालन करने वाले, अपने वचन को निभाने वाले रावण एक बहुत ही सज्जन व्यक्ति थे। वे परोपकार करना चाहते थे और उनके तीन स्वप्न थे प्रथम कि वह  स्वर्ग तक सीढ़ी बनाना चाहते थे। दूसरा वह समुद्र के पानी को मीठा करना चाहते थे और तीसरा वह सोने में सुगंध पैदा करना चाहते थे। इनमें से प्रथम दो प्रत्यक्ष रूप से जगत कल्याण के उदाहरण माने जा सकते हैं । हम आज  अमृतसर में (19/10/2018) हुए हादसे में सब लोग यह कह रहे हैं कि "रावणी रेल" ने बहुत से लोंगो की जान ले ली।   इस बात को लेकर मुझे आपत्ति है कि हम सब अपनी गलतियों  को दूसरे के सिर पर मढ़ देते हैं। रावण ने बिना किसी कारण कभी किसी का बुरा नहीं चाहा और  रामचरितमानस में यह प्रमाण है कि उन्होंने राम जी के साथ युद्ध

मानवता को महर्षि मनु की देन

मानवता को महर्षि मनु की देन लेखक- डॉ० सुरेन्द्र कुमार (मनुस्मृति भाष्यकार) 'मनुस्मृति नामक धर्मशास्त्र और संविधान के प्रणेता राजर्षि मनु 'स्वायम्भुव' न केवल भारत की, अपितु सम्पूर्ण मानवता की धरोहर हैं। आदिकालीन समाज में मानवता की स्थापना, संस्कृति-सभ्यता का निर्माण और इनके विकास में राजर्षि मनु का उल्लेखनीय योगदान रहा है। यही कारण है कि भारत के विशाल वाङ्मय के साथ-साथ विश्व के अनेक देशों के साहित्य में मनु और मनुवंश का कृतज्ञतापूर्ण स्मरण तथा उनसे सम्बद्ध घटनाओं का उल्लेख प्राप्त होता है। यह उल्लेख इस तथ्य को स्पष्ट करता है कि प्राचीन समाज में मनु और मनुवंश का स्थान महत्वपूर्ण और आदरणीय था। जिस प्रकार विभिन्न कालखण्डों में उत्पन्न विशिष्ट व्यक्तियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने तथा उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिये उनका नाम स्थानों, नगरों आदि के साथ जोड़ दिया जाता है उसी प्रकार प्राचीन समाज ने मनु और मनुवंश का नाम सृष्टि के कालखण्डों के साथ जोड़कर चौदह मन्वन्तरों का नाम चौदह मनुओं के नाम पर रखा जिनमें प्रथम मन्वन्तर का नाम 'स्वायम्भुव मन्वन्तर' है। आदि मानव-समा