माँ का आँचल
माँ का पल्लू इसके साथ ही ... यह गरम बर्तन को चूल्हा से हटाते समय गरम बर्तन को पकड़ने के काम भी आता था. पल्लू की बात ही निराली थी. पल्लू पर तो बहुत कुछ लिखा जा सकता है. पल्लू ... बच्चों का पसीना, आँसू पोंछने, गंदे कान, मुँह की सफाई के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था. माँ इसको अपना हाथ पोंछने के लिए तौलिया के रूप में भी इस्तेमाल कर लेती थी. खाना खाने के बाद पल्लू से मुँह साफ करने का अपना ही आनंद होता था. कभी आँख मे दर्द होने पर ... माँ अपने पल्लू को गोल बनाकर, फूँक मारकर, गरम करके आँख में लगा देतीं थी, दर्द उसी समय गायब हो जाता था. माँ की गोद में सोने वाले बच्चों के लिए उसकी गोद गद्दा और उसका पल्लू चादर का काम करता था. जब भी कोई अंजान घर पर आता, तो बच्चा उसको माँ के पल्लू की ओट ले कर देखता था. जब भी बच्चे को किसी बात पर शर्म आती, वो पल्लू से अपना मुँह ढक कर छुप जाता था. जब बच्चों को बाहर जाना होता,