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खजुराहो के मंदिर

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खजुराहो के मंदिर की श्रृंखला में दूसरा मंदिर है विश्वनाथ मंदिर। इसमें भगवान विश्वनाथ यानी शिवलिंग रूप में विराजमान है। प्रत्येक मंडप में यहां बहुत सुंदर चित्रकारी और शिल्प कला, नक्काशी देखने को मिलती है ।नंदी मंडप में जब मैंने देखा तो नंदी जी की इसने विशाल प्रतिमा कि मन गदगद हो गया। बहुत सुंदर शांत वातावरण ऐसा लगता है जैसे ईश्वर का साक्षात्कार हो गया हो। यहां के मंदिरों की विशेषता यह है कि एक ही पत्थर के बनाए गए हैं और पता नहीं उन में कौन सी धातु मिलाई गई है कि अभी तक इतने मजबूत और चिकने है के सभी लोग, पर्यटक दांतो तले उंगली दबा लेते हैं। यहां की भव्यता सुंदरता देखते ही बनती है। मंदिर के कक्ष में जहां विश्वनाथ जी, की शिवलिंग की स्थापना है वहां पर रोशनी का इस तरह से प्रबंध किया गया है कि क्रॉस वेंटीलेशन के तहत बिना किसी रोशनी के अंदर आते ही शिवलिंग के दर्शन बहुत ही सुंदर प्रकार से हो जाते हैं क्योंकि दोनों तरफ की रोशनी शिवलिंग पर दिखाई देती है ।हर प्रकार के मंदिर के दरवाजे के बाहर अर्धचंद्र या सूर्य का बिंब पूर्ण गोला बनाया गया है। उसके दोनों तरफ शंख हैं। विश्वनाथ मंदिर के  मंडप के बाहर

am, pm का रहस्य

क्या आप जानते हैं कि समय के साथ a.m., p.m. जो लगाया जाता है उसकी उत्पत्ति कहां से हुई है? वैसे तो हम सभी जानते हैं कि संसार में जितना भी ज्ञान है वह भी वेदों से आया है ।ऐसा कोई भी विषय नहीं है वेदों में जिसके बारे में ना लिखा गया हो। विडंबना यह है कि हम उनके तह तक पहुंच  ही नहीं पाए हैं । इसी तरह a.m. (आरोहणम् मार्तडस्य्)   जिसका का अर्थ है सूर्योदय  p.m.(पतनम् मार्तडस्य्) का अर्थ है सूर्यास्त यानी ये भी हमारे वेदों का ही ज्ञान है   धन्य है हमारे ऋषि मुनि, धन्य है उनका ज्ञान ,धन्य है हमारी भारत भूमि। मैं अपने आप को गौरवान्वित समझती हूं कि मैंने यहां जन्म लिया।  वंदे मातरम।  भारत वर्ष हमेशा से ही जगतगुरु रहा है क्योंकि उसके पास अथाह ज्ञान भंडार है। Did you Know??? A. M.  &  P. M. as we all know, stand for ante meridian and post meridian. But, ante of what  and post of what was  never clarified- the subject itself is missing. The letters however have been drawn from Sanskrit, from the words (आरोहणम् मार्तडस्य्) Aarohanam Marthandasya (AM) and (पतनम् मार्तडस्य्) Pathanam Marthandasya

कोई भी यात्रा अपने आप में अनोखी ही होती है और इसके साथ यह भी उसके चित्र भी पास में हो तो वह अविस्मरणीय बन जाती है। मेरी खजुराहो की यात्रा भी इस संदर्भ में सत्य प्रतीत होती है। खजुराहो के मंदिर अपने आप में ही अपनी मिसाल हैं। इनके बारे में क्या कहा जा सकता है जो मेरे अनुभव है वह आप सबके साथ साझा करना चाहती हूं। सभी मंदिरों के बारे में एक साथ बताने की बजाय मैं एक एक मंदिर की विशेषता और उसके बारे में कुछ स्मृतियां आपके साथ बांटना चाहती हूं। प्रस्तुत चित्र मंतेश्वर महादेव मंदिर का है। यहां पर प्रात:काल सभी भक्तजन पूजा करने आते हैं जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि खजुराहो में मंदिर सूर्योदय के समय खुलते हैं और सूर्यास्त पर बंद हो जाते हैं। प्रस्तुत मंदिर में लगभग 18 फुट लंबा शिवलिंग एक बहुत बड़े चबूतरे पर स्थित है। मैंने अभी तक कि अपनी जिंदगी में इतना बड़ा शिवलिंग नहीं देखा है। अद्भुत, अद्वितीय और आकर्षक भगवान शिव का प्रतीक शिवलिंग अनंतता, विशालता लिए हुए हैं जिसे देख कर आत्मिक शांति और एक सात्विक ऊर्जा का संचार हुआ। वहां पर पंडित जी ने बताया कि यह शिवलिंग फुट कुल 18 फुट का है जिसमें 9 फुट ऊपर और 9 फुट नीचे है ।शिवलिंग के नीचे एक बहुमूल्य मणि चंदेल वंश के राजाओं के द्वारा दबाई गई है कि वह मणि सुरक्षित रह सके। शायद उस मणि का यह प्रभाव है कि अभी तक यह शिवलिंग कहीं से खंडित नहीं नजर आता। बहुत ही सुंदर नजारा ।मैं अपने आप को भाग्यशाली समझती हूं कि मैं यहां पहुंचकर इस शिवलिंग के दर्शन कर पाई, आप भी कीजिए।जय शिव शंकर।

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