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Showing posts from August, 2020

वैदिक घड़ी

*वैदिक घड़ी* देखिये आपकी घड़ी क्या कहती है ◆ 12:00 बजने के स्थान पर आदित्या: लिखा हुआ है, जिसका अर्थ यह है कि सूर्य 12 प्रकार के होते हैं... अंशुमान, अर्यमन, इंद्र, त्वष्टा, धातु, पर्जन्य, पूषा, भग, मित्र, वरुण, विवस्वान और विष्णु ◆ 1:00 बजने के स्थान पर ब्रह्म लिखा हुआ है, इसका अर्थ यह है कि ब्रह्म एक ही प्रकार का होता है। एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति ◆ 2:00 बजने की स्थान पर अश्विनौ लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि अश्विनी कुमार दो हैं। ◆ 3:00 बजने के स्थान पर त्रिगुणा: लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य यह है कि गुण तीन प्रकार के हैं। सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण। ◆ 4:00 बजने के स्थान पर चतुर्वेदा: लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य यह है कि वेद चार प्रकार के होते हैं। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। ◆ 5:00 बजने के स्थान पर पंचप्राणा: लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य है कि प्राण पांच प्रकार के होते हैं। अपान, समान, प्राण, उदान और व्यान ◆ 6:00 बजने के स्थान पर षड्र्सा: लिखा हुआ है, इसका तात्पर्य है कि रस 6 प्रकार के होते हैं। मधुर, अमल, लवण, कटु, तिक्त और कसाय ◆ 7:00 बजे के स्थान पर सप्तर्षय: लिखा हुआ

रक्षा सूत्र

त्रिपाठी ': तिवारी ब्राह्मणों का यज्ञोपवीत पर्व॥     बहनें अपने भाइयों को बांधती हैं रक्षासूत्र ॥ सुप्रभात मित्रो ! आज  उत्तराखंड के तिवारी त्रिपाठी बंधुओं द्वारा यज्ञोपवीत धारण तथा रक्षासूत्र बंधन का पर्व ' मनाया जा रहा है। कुमाऊं में तिवारी, तिवाड़ी, तेवारी,तेवाड़ी, त्रिपाठी, त्रिवेदी आदि उपनामों से प्रचलित सामवेदी ब्राह्मण आज के दिन ‘हस्त’ नक्षत्र में ही ‘हरताली’ तीज पर जनेऊ धारण करते हैं। हरताली के दिन प्रातःकाल यज्ञोपवीत धारण किया जाता है और बहनें अपने भाइयों को रक्षासूत्र बांधती हैं तथा उनके सौभाग्यशाली जीवन एवं दीर्घायुष्य की कामना करती हैं।  प्राचीन काल से ही परम्परा चली आ रही है कि  उत्तराखंड तथा पार्श्ववर्ती क्षेत्र   के तिवारी ब्राह्मण श्रावण पूर्णिमा के बदले आज भाद्रपद मास 'हस्त' नक्षत्र में यज्ञोपवीत धारण और रक्षाबंधन का पर्व मनाते आते आए हैं हालांकि इस संबंध में पहले मुझे भी यह विशेष जानकारी नहीं थी कि तिवारी समुदाय के लोग श्रावणी पूर्णिमा को छोड़कर हरतालिका तीज के अवसर पर जनेऊ संस्कार और रक्षाबंधन का त्योहार क्यों मनाते हैं ? बाद में मैंने इस जिज्ञासा को क

गणेश चतुर्थी

श्री गणेश चतुर्थी एवं श्रीगणेश महोत्सव  22 अगस्त से 1 सितंबर 2020 विशेष 〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰 सभी सनातन धर्मावलंबी प्रति वर्ष गणपति की स्थापना तो करते है लेकिन हममे से बहुत ही कम लोग जानते है कि आखिर हम गणपति क्यों बिठाते हैं ? आइये जानते है। हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की है। लेकिन लिखना उनके वश का नहीं था। अतः उन्होंने श्री गणेश जी की आराधना की और गणपति जी से महाभारत लिखने की प्रार्थना की। गणपती जी ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ और इस कारण गणेश जी को थकान तो होनी ही थी, लेकिन उन्हें पानी पीना भी वर्जित था। अतः गणपती जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की। मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई, इसी कारण गणेश जी का एक नाम पर्थिव गणेश भी पड़ा। महाभारत का लेखन कार्य 10 दिनों तक चला। अनंत चतुर्दशी को लेखन कार्य संपन्न हुआ। वेदव्यास ने देखा कि, गणपती का शारीरिक तापमान फिर भी बहुत बढ़ा हुआ है और उनके शरीर पर लेप की गई मिट्टी सूखकर झड़ रही है

मुर्दों के प्रकार

*14 प्रकार के मुर्दे।* _*राम और रावण का युद्ध चल रहा था।*_ तब अंगद रावण को बोला तु तो मुर्दा है। तुझे मारने से क्या फायदा? रावण बोला मैं जिंदा हूँ मुर्दा कैसे?  अंगद बोले *सिर्फ सांस लेनेवालों को जिंदा नही कहते सांस तो लुहार का भाता भी लेता है*, तब अंगद ने 14 प्रकार के मुर्दों के लक्षण बताये। _अंगद द्वारा रावण को बताई गई ये बातें आज के दौर में भी लागू होती हैं।_ 👉 यदि किसी व्यक्ति में *इन 14 दुर्गुणों में से एक दुर्गुण भी आ जाता है तो वह मृतक समान हो जाता है।* विचार करें कहीं यह दुर्गुण हमारे पास तो नहीं.... और हमें मृतक समान माना जाय। 1. *वाम मार्गी-* जो व्यक्ति पूरी दुनिया से उल्टा चले। जो संसार की हर बात के पीछे नकारात्मकता खोजता हो। नियमों, परंपराओं और लोक व्यवहार के खिलाफ चलता हो, वह वाम मार्गी कहलाता है। ऐसे काम करने वाले लोग मृत समान माने गए हैं। 2. *कंजूस-* अति कंजूस व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जो व्यक्तिधर्म के कार्य करने में, आर्थिक रूप से किसी कल्याण कार्य में हिस्सा लेने में हिचकता हो। दान करने से बचता हो। ऐसा आदमी भी मृत समान ही है। 3. *कामवश-* जो व्यक्ति अत्यंत भोगी हो,