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Showing posts from April, 2020

सती सुलोचना

कहते हैं हर चीज के दो पहलू होते हैं। इन दिनों करोना वायरस ने पूरे विश्व में हा- हा कार मचाया हुआ है तो दूसरी तरफ इसका एक  सकारात्मक पक्ष यह है कि हम इन दिनों अपने घर पर हैं, सुरक्षित हैं।  इसी सकारात्मकता के चलते इन दिनों टीवी पर बहुत अच्छे-अच्छे कार्यक्रम दिखाई जा रहे हैं / दोहराए जा रहे हैं जैसे की रामायण, महाभारत, चाणक्य आदि जिन्हें देखकर धार्मिक और सांस्कृतिक एकता ,अखंडता का ज्ञान हो रहा है। इसी श्रृंखला में अभी 2 दिन पहले ही रामायण में मेघनाद वध हुआ था। मेघनाद की पत्नी सुलोचना थी उसी के बारे में एक बहुत सुंदर कथा है मुझे अच्छी लगी शायद आपको भी अच्छी  लगे....... रामायण के विषय में कुछ ऐसी कथाये है जो प्रचलित हैं जो की सत्य और सार्थक जान पड़ती हैं किंतु मूल रामायण एवं रामचरित मानस में नही है। उसमें  से  एक प्रसिद्ध कथा है  महासती सुलोचना की कथा!!!!!!!  सुलोचना वासुकी नाग की पुत्री और लंका के राजा रावण के पुत्र मेघनाद की पत्नी थी। लक्ष्मण के साथ हुए एक भयंकर युद्ध में मेघनाद का वध हुआ। उसके कटे हुए शीश को भगवान श्रीराम के शिविर में लाया गया था। अपने पति की मृत्यु का समाचार पाकर सुलोच

ओशो....... मैं मृत्यु सिखाता हूँ

ओशो, गजब का ज्ञान दे गये। (करोना जैसी जगत बिमारी के लिए) ७० के दशक में हैजा महामारी के रूप में पूरे विश्व में फैला था, तब अमेरिका में किसी ने ओशो रजनीशजी से प्रश्न किया -  "इस महामारी से कैसे बचे ?" और ओशो ने विस्तार से समझाया, जो आज कोरोना के सम्बंध में भी बिल्कुल प्रासंगिक है। "यह प्रश्न ही आप गलत पूछ रहे है। प्रश्न ऐसा होना चाहिए था, कि महामारी के कारण मेरे मन में मरने का जो डर बैठ गया है, उसके सम्बन्ध में कुछ कहिए, इस डर से कैसे बचा जाए ?" "क्योंकि वायरस से बचना तो बहुत ही आसान है, लेकिन जो डर आपके और दुनिया के अधिकतर लोगो के भीतर बैठ गया है, उससे बचना बहुत ही मुश्किल है। अब, इस महामारी से कम, लोग इस डर के कारण ज्यादा मरेंगे। 'डर' से ज्यादा खतरनाक इस दुनिया में कोई भी वायरस नहीं है। इस डर को समझिये, अन्यथा मौत से पहले ही आप एक जिंदा लाश बन जाएँगे।" "यह जो भयावह माहौल आप अभी देख रहे है, इसका वायरस आदि से कोई लेना देना नहीं है। यह एक सामूहिक पागलपन है, जो एक अन्तराल के बाद हमेशा घटता रहता है। कारण बदलते रहते है। कभी सरकारो की प्रतिस्पर्धा, क

प्रासंगिक

*हिंदू धर्म में हजारों सालों से संक्रमण से बचने के लिए कुछ सूत्र जो अब पूरी दुनिया अपना रही है-* *घ्राणास्ये वाससाच्छाद्य मलमूत्रं त्यजेत् बुध:।*(वाधूलस्मृति 9) *नियम्य प्रयतो वाचं संवीताङ्गोऽवगुण्ठित:।*(मनुस्मृति 4/49)) नाक, मुंह तथा सिर को ढ़ककर, मौन रहकर मल मूत्र का त्याग करना चाहिए। *तथा न अन्यधृतं धार्यम्* (महाभारत अनु.104/86) दुसरों के पहने कपड़े नहीं पहनने चाहिए। *स्नानाचारविहीनस्य सर्वा:स्यु: निष्फला: क्रिया:*(वाधूलस्मृति 69) स्नान और शुद्ध आचार के बिना सभी कार्य निष्फल हो जाते हैं, अतः: सभी कार्य स्नान करके शुद्ध होकर करने चाहिए। *लवणं व्यञ्जनं चैव घृतं तैलं तथैव च। लेह्यं पेयं च विविधं हस्तदत्तं न भक्षयेत्।*(धर्मसिंधु 3 पू.आह्निक) नमक, घी, तैल, कोई भी व्यंजन, चाटने योग्य एवं पेय पदार्थ यदि हाथ से परोसे गए हों तो न खायें, चम्मच आदि से परोसने पर ही ग्राह्य हैं। *न अप्रक्षालितं पूर्वधृतं वसनं बिभृयात्।*(विष्णुस्मृति 64) पहने हुए वस्त्र को बिना धोए पुनः न पहनें। पहना हुआ वस्त्र धोकर ही पुनः पहनें। *न चैव आर्द्राणि वासांसि नित्यं सेवेत मानव:।*(महाभारत अनु.104/52) *न आर्द्रं परिदधी

बाली का वध और तारा विलाप

बाली का वध  और  तारा विलाप ***************************** ऐसी मान्यता है कि राम ने बाली पर जो तीर चलाया था वह एक साधारण तीर था, अर्थात् राम के तरकश में अनेकों अस्त्र थे जिनसे पल भर में जीव तो क्या पूरी की पूरी सभ्यता का विनाश हो सकता था, जैसे ब्रह्मास्त्र इत्यादि। लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम — जो कि विष्णु का अवतार थे और सर्वज्ञाता थे — ने एक साधारण सा ही तीर इसलिए चलाया क्योंकि वालि की तुरन्त मृत्यु न हो और मरने से पहले उसे अपने प्रश्नों का उत्तर भली भांति प्राप्त हो जाये ताकि वह शांति से प्राण त्याग सके और मरने से पहले वह स्वजनों से भली भांति मिल सके। । तारा हिन्दू महाकाव्य रामायण में वानरराज बाली की पत्नी है। तारा की बुद्धिमता, प्रत्युत्पन्नमतित्वता, साहस तथा अपने पति के प्रति कर्तव्यनिष्ठा को सभी पौराणिक ग्रन्थों में सराहा गया है। तारा को हिन्दू धर्म ने पंचकन्याओं में से एक माना गया है।पौराणिक ग्रन्थों में पंचकन्याओं के विषय में कहा गया है:- अहिल्या द्रौपदी कुन्ती तारा मन्दोदरी तथा। पंचकन्या स्मरणित्यं महापातक नाशक॥ अर्थात् : अहिल्या, द्रौपदी, कुन्ती, तारा तथा मन्दोदरी, इन पाँच कन्

लोक डाउन : 'एक पारिवारिक मधुमास

लोक डाउन : 'एक पारिवारिक मधुमास'  हर चीज के दो पहलू होते हैं, 2 पक्ष होते हैं। हम सभी जानते हैं कि भारत में भी 21 दिन का लॉक डाउन किया गया है ।आज 11वां दिन है। पीछे के दिनों में नवरात्रि पर्व होने की वजह से हम लोग शायद थोड़े से व्यस्त रहें क्योंकि नवरात्रि में पूजा, आराधना,हवन इत्यादि हम करते रहे जिसमें हम में से कई लोगों ने अतिरिक्त पूजा, अर्चना भी की। दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया कि मां दुर्गा इस वैश्विक महामारी से जल्द से जल्द मुक्ति प्रदान करें और पूर्ण विश्व जल्दी से स्वस्थ हो जाए। अब इन दिनों में हम सभी लोग घर पर हैं और हमें अपने माननीय प्रधानमंत्री जी  बातों को, उनके (आदेश) अनुरोध को अक्षरश: मानना भी चाहिए क्योंकि यह हम सभी के लिए हितकारी है, कल्याणकारी है ।इसी के साथ-साथ यह हमारे समाज के लिए, देश के लिए, विश्व के लिए भी कल्याणकारी है । कई लोग इस लॉक डाउन से बहुत परेशान भी हो रहे हैं। निश्चय ही पूरी अर्थव्यवस्था डगमगा गई है। हर चीज बहुत सीमित हो गई है। परंतु क्यों ना हम इसकी सकारात्मकता की तरफ देखें? शायद प्रकृति में भी मनुष्य से यह कहा हो कि मुझे थोड़ा ब्रेक चाहिए। एक