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Showing posts from February, 2021

मिट्टी

*बाबा फरीद ने पंजाबी में क्या खूब कहा है* - वेख फरीदा मिट्टी खुल्ली, *(कबर)* मिट्टी उत्ते मिट्टी डुली; *(लाश)* मिट्टी हस्से मिट्टी रोवे, *(इंसान)* अंत मिट्टी दा मिट्टी होवे *(जिस्म)* ना कर बन्दया मेरी मेरी, *(पैसा)* ना ऐह तेरी ना ऐह मेरी; *(खाली जाना)* चार दिना दा मेला दुनिया, *(उम्र)* फ़िर मिट्टी दी बन गयी ढेरी; *(मौत)* ना कर एत्थे हेरा फेरी, *(पैसे कारन झुठ, धोखे)* मिट्टी नाल ना धोखा कर तू, *(लोका नाल फरेब)* तू वी मिट्टी मैं वी मिट्टी; *(इंसान)* जात पात दी गल ना कर तू, जात वी मिट्टी पात वी मिट्टी, *(पाखंड)* *जात सिर्फ खुदा दी उच्ची,*                      *बाकी सब कुछ मिट्टी मिट्टी*।

तिलक का महत्व

*🌹तिलक लगवाते समय सिर पर हाथ क्यों रखते हैं ?🌹*         व्यास जी कहते हैं कि तिलक बिना लगाएं हिन्दू मान्यताओं के अनुसार कोई भी पूजा-प्रार्थना नहीं होती। सूने मस्तक को अशुभ माना जाता है। तिलक लगाते समय सिर पर हाथ रखना भी हमारी एक परंपरा है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसका कारण क्या है ? दरअसल धर्म शास्त्रों के अनुसार सूने मस्तक को अशुभ और असुरक्षित माना जाता है। तिलक लगाने के लिएअनामिका अंगुली शांति प्रदान करती है। मध्यमा अंगुली मनुष्य की आयु वृद्धि करती है। अंगूठा प्रभाव और ख्याति तथा आरोग्य प्रदान कराता है। इसीलिए राजतिलक अथवा विजय तिलक अंगूठे से ही करने की परंपरा रही है। तर्जनी मोक्ष देने वाली अंगुली है। ज्योतिष के अनुसार अनामिका तथा अंगूठा तिलक करने में सदा शुभ माने गए हैं। अनामिका सूर्य पर्वत की अधिष्ठाता अंगुली है। यह अंगुली सूर्य का प्रतिनिधित्व करती है, जिसका तात्पर्य यही है कि सूर्य के समान, दृढ़ता, तेजस्वी, प्रभाव, सम्मान, सूर्य जैसी निष्ठा-प्रतिष्ठा बनी रहे। दूसरा अंगूठा है जो हाथ में शुक्र क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। शुक्र ग्रह जीवन शक्ति का प्रतीक है। जीवन में सौ

नर्मदा जयंती*

*नर्मदा जयंती* नर्मदा जयंती पवित्र नदी मां नर्मदा को समर्पित है. हिंदू पंचांग अनुसार, नर्मदा जयंती माघ महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तारीख को मनाई जाती है. माना जाता है कि इस दिन मां नर्मदा के पावन जल से स्नान करने से, हर व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं नर्मदा जयंती की पौराणिक कथा...  *नर्मदा जयंती की पौराणिक कथा* पौराणिक कथा के अनुसार, तपस्या में बैठे भगवान शिव के पसीने से नर्मदा प्रकट हुई. नर्मदा ने प्रकट होते ही अपने अलौकिक सौंदर्य से ऐसी चमत्कारी लीलाएं प्रस्तुत की कि खुद शिव-पार्वती चकित रह गए. तभी उन्होंने नामकरण करते हुए कहा- देवी, तुमने हमारे दिल को हर्षित कर दिया. इसलिए तुम्हारा नाम हुआ नर्मदा. नर्म का अर्थ है- सुख और दा का अर्थ है- देने वाली. इसका एक नाम रेवा भी है, लेकिन नर्मदा ही सर्वमान्य है.  एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, मैखल पर्वत पर भगवान शंकर ने 12 वर्ष की दिव्य कन्या को अवतरित किया महारूपवती होने के कारण विष्णु आदि देवताओं ने इस कन्या का नामकरण नर्मदा किया. इस दिव्य कन्या नर्मदा ने उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर काशी के पंचक्रोशी क्षेत्र में 10,000 दि

बसंत पंचमी

*सरस्वती देवी:--* *बसन्त पञ्चमी ये सरस्वती का प्रगट दिन माना जाता है |* *आर्यों ने सरस्वती नदी के तीर पर वेदों की रचना की इसलिए ज्ञानदात्री के रूप में सरस्वती देवी की मुर्ति अस्तित्व में आयी |* *सरस्वती देवी विद्या की अधिष्ठात्री देवता मानी जाती है | किन्तु अन्य देवता और सरस्वती में बहुत बड़ा फर्क हें |* *अन्य देवता किसी ना किसी की ‘’कुलदेवता’’ रहती हें, वैसे सरस्वती किसी भी कुल की देवता हें ऐसा नही दिखता |* *सरस्वती का कोई भी सम्प्रदाय नही हें | और सरस्वती के मन्दिरों की संख्या भी बहुत कम हें |* *और अन्य देवतो की अपेक्षा सरस्वती पर ग्रन्थरचना भी बहुत कम ही हें |* *ऐसा हें तो भी सरस्वती प्रत्येक व्यक्ती का अनेकार्थो से दैवत हें | सरस्वती का वरदहस्त पाने के लिए असीम कष्टों की आवश्यकता होती हें |* *कोई भी विद्या परिश्रम से ही प्राप्त होती हें | इसके बाद सरस्वती का वरदहस्त प्राप्त होता हें |* *‘’ सरसःअवती ‘’ इसका अर्थ एक गती में ज्ञान देनेवाली अर्थात् गतिमती|*  *निष्क्रिय ब्रह्मा का सक्रिय रूप, इसलिए उसे ‘ब्रह्मा-विष्णु-महेश’ ये तीनों को गती देनेवाली शक्ती ऐसा कहा गया है  |* वह ब्रह्मा की

*विद्वत्ता का घमंड*

साभार *विद्वत्ता का घमंड* . *महाकवि कालिदास के कंठ में साक्षात सरस्वती का वास था. शास्त्रार्थ में उन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता था. अपार यश, प्रतिष्ठा और सम्मान पाकर एक बार कालिदास को अपनी विद्वत्ता का घमंड हो गया.* . *उन्हें लगा कि उन्होंने विश्व का सारा ज्ञान प्राप्त कर लिया है और अब सीखने को कुछ बाकी नहीं बचा. उनसे बड़ा ज्ञानी संसार में कोई दूसरा नहीं. एक बार पड़ोसी राज्य से शास्त्रार्थ का निमंत्रण पाकर कालिदास विक्रमादित्य से अनुमति लेकर अपने घोड़े पर रवाना हुए.* . *गर्मी का मौसम था. धूप काफी तेज़ और लगातार यात्रा से कालिदास को प्यास लग आई. थोङी तलाश करने पर उन्हें एक टूटी झोपड़ी दिखाई दी. पानी की आशा में वह उस ओर बढ चले. झोपड़ी के सामने एक कुआं भी था.* . *कालिदास ने सोचा कि कोई झोपड़ी में हो तो उससे पानी देने का अनुरोध किया जाए. उसी समय झोपड़ी से एक छोटी बच्ची मटका लेकर निकली. बच्ची ने कुएं से पानी भरा और वहां से जाने लगी.* . *कालिदास उसके पास जाकर बोले- बालिके ! बहुत प्यास लगी है ज़रा पानी पिला दे. बच्ची ने पूछा- आप कौन हैं ? मैं आपको जानती भी नहीं, पहले अपना परिचय दीजिए. कालिदास

हनुमान चालीसा अंग्रेजी में अनुवाद सहित

हनुमान चालीसा अंग्रेजी में अनुवाद सहित ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ श्रीगुरु चरन सरोज रज बी In the Lotus feet of my teacher/Guardian निज मन मुकुर सुधारि।  I purify the mirror of my heart बरनउँ रघुबर बिमल जसु  I illustrate the story of immaculate Rama जो दायकु फल चारि॥  which bestows four fruits (The 4 Purusharth : desire, prosperity, righteousness, liberation) बुद्धिहीन तनु जानिकै  Considering myself as frail & unwise सुमिरौं पवनकुमार।  I contemplate Son of Wind (Hanuman) बल बुद्धिविद्या देहु मोहिं  to impart power, knowledge & civilization हरहु कलेश विकार ॥  & to eradicate all the miseries of life. जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।  I glorify lord Hanuman, the deep sea of knowledge & virtues जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥  I glorify The Monkey man “Vanara”, who lightens the three worlds (earth, atmosphere & beyond)  राम दूत अतुलित बल धामा।  I glorify the faithful envoy of lord Ram, अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥  who is also known as son of anjana (anjaniputra) & wind’s son (pavansuta)

राजा विक्रमादित्य के नवरत्न

अकबर के नौरत्नों से इतिहास भर दिया लेकिन महाराजा #विक्रमादित्य के #नवरत्नों की कोई चर्चा पाठ्यपुस्तकों में नहीं है ! जबकि सत्य यह है कि अकबर को महान सिद्ध करने के लिए महाराजा विक्रमादित्य की नकल करके कुछ धूर्तों ने #इतिहास में लिख दिया कि अकबर के भी नौ रत्न थे । राजा विक्रमादित्य के नवरत्नों को जानने का प्रयास करते हैं ... राजा विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों के विषय में बहुत कुछ पढ़ा-देखा जाता है। लेकिन बहुत ही कम लोग ये जानते हैं कि आखिर ये नवरत्न थे कौन-कौन। राजा विक्रमादित्य के दरबार में मौजूद नवरत्नों में उच्च कोटि के #कवि, #विद्वान, #गायक और #गणित के प्रकांड #पंडित शामिल थे, जिनकी योग्यता का डंका देश-विदेश में बजता था। चलिए जानते हैं कौन थे। ये हैं नवरत्न – 1–#धन्वन्तरि- नवरत्नों में इनका स्थान गिनाया गया है। इनके रचित नौ ग्रंथ पाये जाते हैं। वे सभी आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र से सम्बन्धित हैं। चिकित्सा में ये बड़े सिद्धहस्त थे। आज भी किसी वैद्य की प्रशंसा करनी हो तो उसकी ‘धन्वन्तरि’ से उपमा दी जाती है। 2–#क्षपणक- जैसा कि इनके नाम से प्रतीत होता है, ये बौद्ध संन्यासी थे। इससे एक ब

*संस्कृत*: कुछ *रोचक तथ्य.

*संस्कृत*: कुछ *रोचक तथ्य....* *संस्कृत के बारे में ये 20 तथ्य जान कर आपको भारतीय होने पर गर्व होगा।* आज हम आपको संस्कृत के बारे में कुछ  ऐसे तथ्य बता रहे हैं, जो किसी भी भारतीय का सर गर्व से ऊंचा कर देंगे;; .1. संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी  माना जाता है। 2. संस्कृत उत्तराखंड की आधिकारिक  भाषा है। 3. अरब लोगो की दखलंदाजी से पहले  संस्कृत भारत की राष्ट्रीय भाषा थी। 4. NASA के मुताबिक, संस्कृत धरती  पर बोली जाने वाली सबसे स्पष्ट भाषा है। 5. संस्कृत में दुनिया की किसी भी भाषा से ज्यादा शब्द है। वर्तमान में संस्कृत के शब्दकोष में 102  अरब 78 करोड़ 50 लाख शब्द है। 6. संस्कृत किसी भी विषय के लिए एक  अद्भुत खजाना है।  जैसे हाथी के लिए ही संस्कृत में 100 से  ज्यादा शब्द है। 7. NASA के पास संस्कृत में ताड़पत्रो  पर लिखी 60,000 पांडुलिपियां है जिन  पर नासा रिसर्च कर रहा है। 8. फ़ोबर्स मैगज़ीन ने जुलाई,1987 में  संस्कृत को Computer Software  के लिए सबसे बेहतर भाषा माना था। 9. किसी और भाषा के मुकाबले संस्कृत  में सबसे कम शब्दो में वाक्य पूरा हो  जाता है। 10. संस्कृत दुनिया की अकेली ऐसी  भाषा है ज

शिव शंकर

★★★भगवान शिव अर्थात पार्वती के पति शंकर जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ आदि कहा जाता है, उनके बारे में यहां प्रस्तुत हैं 35 रहस्य।   ★1. आदिनाथ शिव सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें 'आदिदेव' भी कहा जाता है। 'आदि' का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम 'आदिश' भी है।   ★2. शिव के अस्त्र-शस्त्र शिव का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है। उक्त सभी का उन्होंने ही निर्माण किया था। ★3. शिव का नाग शिव के गले में जो नाग लिपटा रहता है उसका नाम वासुकि है। वासुकि के बड़े भाई का नाम शेषनाग है।  ★4. शिव की अर्द्धांगिनी शिव की पहली पत्नी सती ने ही अगले जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया और वही उमा, उर्मि, काली कही गई हैं।   ★5. शिव के पुत्र शिव के प्रमुख 6 पुत्र हैं- गणेश, कार्तिकेय, सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा। सभी के जन्म की कथा रोचक है। ★6. शिव के शिष्य शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसक