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नारी

नारी की महिमा और वेदों में नारी का स्थान  परिचय  जब  से सृष्टि की रचना हुई है, तब से ही शायद हम  नारी को सशक्त करने की बात सोच रहे हैं ।वह शायद इसलिए क्योंकि प्रकृति ने नारी को कोमल, ममतामयी,करुणामयी,सहनशील,आदि गुणों से भरपूर  बनाया है ।तब से लेकर आज तक हम नारी को हर रूप में सशक्त करने के बात सोच रहे हैं ।और आज तक नारी कितनी सशक्त हुई है ,कितनी सबल हो चुकी है ,यह हम सब जानते हैं ।यह सब बातें प्रमाणिक है और इन सब का हमारे जीवन पर अत्यधिक प्रभाव भी पड़ता है ,पड़ता जा रहा है।  परंतु इन सबसे हटकर मैं आज नारी सशक्तिकरण के दूसरे पहलू पर आपका ध्यानाकर्षित करना चाहती हूं। नारी तो प्रारंभ से ही सशक्त है। इसका प्रमाण तो  पग - पग पर मिलता है ।ये क्या प्रमाण हैं , इन सबको बताने से पहले मै यहां यह स्पष्ट करना चाहती हूं कि नारी को यह महसूस क्यों हुआ कि उसे सशक्त होना है, होना पड़ेगा, और होना ही चाहिए । वो इसलिए कि हमारे समाज में कई लोग उसकी क्षमता को पहचान नहीं पाए ,जान नहीं पाए, और जान पाए तो, मान नहीं पाए, या मानना ही नहीं चाहते है कि नारी हर क्षेत्र में, हर काम में, बेहतर हो सकती है। इसलिए अपने आ