रामचरितमानस में चित्रित भारतीय संस्कृति।
श्रीरामचरितमानस में चित्रित भारतीय संकृति। श्लोक वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि। मङ्गलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ॥1॥ भवानीशङ्करौ वन्दे श्रद्धाविश्वासरूपिणौ। याभ्यां विना न पश्यन्ति सिद्धाःस्वान्तःस्थमीश्वरम्॥ परिचय-- श्रीरामचरितमानस अवधी भाषा में तुलसीदास जी के द्वारा 16 वीं शताब्दी में रचित एक महाकाव्य है।श्रीरामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष व अनूठा स्थान रखता है। यह सत्य सनातन धर्म का द्योतक भी कहा जा सकता है ।सनातन धर्मी किसी भी भारतीय के घर में श्रीरामचरितमानस उपलब्ध ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता ।रामचरितमानस ऐसा महाकाव्य है जो जीवन और संघर्ष का परिचायक है ।इसलिए जीवन में 'जीवन्तता' बनाए रखते हुए संघर्ष की प्रेरणा देने हेतु श्रीरामचरितमानस जनमानस का मुक्ति मार्ग प्रशस्त करता है । प्रामाणिक रचनाकाल--- तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के बालकांड में स्वयं लिखा है कि उन्होंने रामचरितमानस की रचना अयोध्या में रामनवमी के दिन मंगलवार को आरंभ की थी। गीता प्रेस गोरखपुर हनुमान प्रसाद पोद्दार के अनुसार "रामचरितमानस लिखने में गोस्वामी तुलसीदास जी को 2 वर्ष 7
Comments
Post a Comment