Posts

Showing posts from February, 2019

संस्कृत और गणित

आज सभी को यह भ्रम है कि विदेशी ज्ञान बहुत अधिक प्रमाणिक एवम वैदुष्य, वैविध्य का प्रमाण है ।परंतु यह  अकाट्य सत्य है कि प्रत्येक विषय पर हमारे मनीषियों ने विदेशियों से हजारों साल पहले प्रमाणिक ज्ञान प्रदान कर दिया था। संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है अपितु पृथ्वी पर संपूर्ण ज्ञान को सहेजने वाली एक मां के समान है जिसकी गोद में हर कोई सुरक्षित है, संरक्षित है एवं वृद्धि को प्राप्त करने के लिए अवसर प्राप्त करने में सक्षम है। संस्कृत ऐसी है जो सभी के संवर्धन पर एक मां की ही भांति प्रसन्न होती है। यह केवल धर्म, अध्यात्म, नैतिकता का ज्ञान समेटे हुए ही नहीं है अपितु   यहां गणित, ज्यामिति, भौतिकी से संबंधित ज्ञान की भी प्रचुर मात्रा में उपलब्धता है। आवश्यकता है  तो केवल खोजने की। ऐसा ही एक प्रमाण...... संस्कृत ग्रन्थों के गणितीय समीकरण {Equation} "चतुरस्रं मण्डलं चिकीर्षन्न् अक्षयार्धं मध्यात्प्राचीमभ्यापातयेत्। यदतिशिष्यते तस्य सह तृतीयेन मण्डलं परिलिखेत्।" बौधायन ने उक्त श्लोक को लिखा है ! इसका अर्थ है - यदि वर्ग की भुजा 2a हो तो वृत्त की त्रिज्या r = [a+1/3(√2a – a)] = [1+1/3(√