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Showing posts from December, 2018

नव वर्ष

आज 31 दिसंबर है यानि कैलेंडर वर्ष का आखरी दिन और बीते वर्ष का भी आखिरी दिन। हमारा हिंदू नव वर्ष वासंतिक नवरात्रि शुक्ल प्रतिपदा को होता है। परंतु आजकल परंपरा यही है कि हम भी 1 जनवरी को ही नववर्ष मना रहे हैं, जमाने के साथ चलना भी पड़ता है। परंतु अपनी सभ्यता एवं संस्कृति को भी अपनी मान्यताओं को, रीति-रिवाजों को भी भूलना नहीं चाहिए और हमें अपने युवा पीढ़ी को भी इसकी जानकारी देते रहना चाहिए भले ही हम उनके साथ यह नववर्ष बनाएं, परंतु उन्हें कम से कम इस बात का ज्ञान तो अवश्य होना चाहिए। खुशी के लिए कोई भी बहाना कभी भी खराब नहीं होता। खुश रहना बहुत अच्छी बात है, खुशियां बांटना उससे भी अच्छी बात है ।इसलिए खुशियां बांटते हुए ही हम भी सभी की तरह 1 जनवरी 2019 का खुली बाहों से स्वागत करते हैं, एवं ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि जो दुखदाई पल 2018 में आए वह चाहे किसी के भी जीवन में हो, वह दोबारा कभी ना आए। हमारी संस्कृति "सर्वे भवंतु सुखिन:" की रही है। अतः यही भावना मैं सभी धरती वासियों के लिए करती हूं क्योंकि "वसुधैव कुटुंबकम" भी हमारा मूल्य है, हमारी पहचान है। इसलिए सभी के लि

शक्ति पीठ

हिंदू धर्म में हिंदू धर्म में शक्तिपीठों का बहुत महत्व है। आज हम यह जानने का प्रयास करते हैं कि जब सती के शव को भगवान शिव अपने कंधे पर उठाकर ले जा रहे थे तो उनके अंग कहां - कहां गिरे और वहां पर कौन-कौन सी शक्तिपीठ स्थापित हुई । आप सभी से अनुरोध है कि यदि आप इस पर विश्वास नहीं करते हैं तो कृपया कोई भी टिप्पणी करने की कोशिश ना करें , क्योंकि  ईश्वर का प्रमाण  देना  सबसे सरल और  सबसे  कठिन कार्य है ।सरल इसलिए स्वयं हम  और पूरी सृष्टि ही  ईश्वर का साक्षात  प्रमाण है। परंतु जो लोग इसे नहीं मानते  उनको यकीन दिलाना  बहुत कठिन है। यह केवल आस्तिक लोगों के लिए है। जो विश्वास रखते हैं उनके लिए कंकर भी शंकर है और जो नास्तिक हैं उनके लिए मेरे पास शब्द नहीं है....... ये हैं शक्तिपीठों की सूची इन शक्तिपीठों (Shakti Peeth) की संख्या इक्यावन कही गई है। ये पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं। आइये जानें इनके स्‍थान, वहां स्‍थापित देवी के नाम और कौनसा अंग या आभूषण वहां गिरा उसके बारे में। Shakti Peeth 1- हिंगुल या हिंगलाज, कराची, पाकिस्तान से लगभग 125 किमी उत्तर-पूर्व में स्‍थित है यहां देवी क

हिन्दू धर्म में संख्याओं का ज्ञान

हिन्दू धर्म में कुछ संख्याओं का विशेष महत्व है - 1) एक ओम्कार् (ॐ) 2) दो लिंग - नर और नारी । दो पक्ष - शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। दो पूजा - वैदिकी और तांत्रिकी। दो अयन- उत्तरायन और दक्षिणायन। 3) तीन देव - ब्रह्मा, विष्णु, शंकर। तीन देवियाँ - सरस्वती, लक्ष्मी, पार्वती। तीन लोक - पृथ्वी, आकाश, पाताल। तीन गुण - सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण। तीन स्थिति - ठोस, द्रव, गैस। तीन स्तर - प्रारंभ, मध्य, अंत। तीन पड़ाव - बचपन, जवानी, बुढ़ापा। तीन रचनाएँ - देव, दानव, मानव। तीन अवस्था - जागृत, मृत, बेहोशी। तीन काल - भूत, भविष्य, वर्तमान। तीन नाड़ी - इडा, पिंगला, सुषुम्ना। तीन संध्या - प्रात:, मध्याह्न, सायं। तीन शक्ति - इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति। 4) चार धाम - बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका। चार मुनि - सनत, सनातन, सनंद, सनत कुमार। चार वर्ण - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। चार निति - साम, दाम, दंड, भेद। चार वेद - सामवेद, ॠग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद। चार स्त्री - माता, पत्नी, बहन, पुत्री। चार युग - सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग, कलयुग। चार समय - सुबह, शाम, दिन, र