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Showing posts from 2020

शिक्षक

एक बड़े  उद्योगपति शिक्षा संस्थानों के शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे-  "देखिए! बुरा मत मानिए !  लेकिन जिस तरह से आप काम करते हैं;  जिस तरह से आपके संस्थान चलते हैं यदि मैं ऐसा करता तो अब तक मेरा बिजनेस डूब चुका होता ।"  चेहरे पर सफलता का दर्प साफ दिखाई दे रहा था !  "समझिए ! आपको बदलना होगा;  आपके राजकीय संस्थानों को बदलना होगा; आप लोग आउटडेटेड पैटर्न पर चल रहे हैं;  और सबसे बड़ी समस्या आप शिक्षक स्वयं हैं, जो किसी भी परिवर्तन के विरोध में रहते हैं  !" "हमसे सीखिए ! बिजनेस चलाना है तो लगातार सुधार करना होता है किसी तरह की चूक की कोई गुंजाइश नहीं !" प्योर अंग्रेजी में  चला उनका भाषण समाप्त हुआ... .. तो प्रश्न पूछने के लिए एक शिक्षिका का हाथ खड़ा था..! "सर ! आप दुनिया की सबसे अच्छी कॉफी बनाने वाली कंपनी के मालिक हैं ।   एक जिज्ञासा थी  कि आप कॉफी के कैसे बीज खरीदते हैं..? " उद्योगपति का गर्व भरा ज़वाब था-  *"एकदम सुपर प्रीमियम! कोई समझौता नहीं..!"  शिक्षिका ने फिर पूछा:- "अच्छा मान लीजिए आपके पास जो माल भेजा जाए उसमें कॉफी के बीज *घटिय

एक माँ की जाति

एक माँ की जाति? तरस आता है मुझे उन लोगों पर जो एक मां से उसकी जाति पूछते हैं ?एक मां जो चारों जातियों का निर्वाह एक साथ करती है, उसके लिए कितना भी नमन किया जाए वह कम है। इसीलिए तो हर किसी के ऋण से उऋण हुआ जा सकता है, परंतु एक मां के ऋण से कभी भी उऋण नहीं हुआ जा सकता क्योंकि,   एक मां है जो खुद मिट कर बच्चों को बनाती है ,  क्योंकि पत्थर पर पिस कर ही तो हिना रंग लाती है।  इसीलिए इस संदर्भ में एक छोटा सा वक्तव्य प्रस्तुत है कि किस तरह से लोग एक मां से उसकी जाति पूछते हैं और जवाब में किस तरह से एक माँ ( एक स्त्री) जवाब देती है। उसने पूछा तेरी जाति क्या है?  मैंने भी पूछा : एक मां की या एक महिला की ..? उसने कहा - चल दोनों की बता ..  और कुटिल मुस्कान बिखेरी । मैंने भी पूरे धैर्य से बताया....... एक महिला जब माँ बनती  है तो वो जाति विहीन हो जाती है.. उसने फिर आश्चर्य चकित होकर पूछा - वो कैसे..? मैंने कहा ..... जब एक मां अपने बच्चे का लालन पालन करती है,  अपने बच्चे की गंदगी साफ करती है ,  तो वो शूद्र हो जाती है.. वो ही बच्चा बड़ा होता है तो मां बाहरी नकारात्मक ताकतों से उसकी रक्षा करती है, तो वो

हवन का वैज्ञानिक महत्व

🌷हवन का वैज्ञानिक महत्व है  और प्रदूषण समस्या का उपाय।  -------------------------------     हिन्दू सनातन धर्म में पूजा का सबसे अच्छा मार्ग हवन और यज्ञ है। इस विधि से भगवान को सदियों पहले से ही हमारे ऋषि मुनि रिझाते हुए आये है।यज्ञ को अग्निहोत्र कहते हैं।अग्नि ही यज्ञ का प्रधान देवता है। हवन में डाली गई सामग्री प्रसाद सीधे हमारे आराध्य देवी देवताओं तक पवित्र अग्नि के माध्यम से जाता है।वैज्ञानिक तथ्यानुसार जहाॅ हवन होता है, उस स्थान के आस-पास रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणु शीघ्र नष्ट हो जाते है।     मनुष्य जीवन में यज्ञ और हवन का बहुत महत्व बताया गया है।यज्ञ हवन से देवी देवताओं की पूजा अर्चना ही नही बल्कि हवन यज्ञ से प्रदूषित वातावरण को भी शुद्ध किया जाता।यज्ञ हवन भी एक चिकित्सा पद्धति मानी गयी और हवन यज्ञ के माध्यम से विभिन्न बीमारियों का इलाज किया जाता है।    यज्ञोपैथी का पुराना वैदिक इतिहास है और जब चिकित्सा की अन्य पद्धतियां मौजूद नहीं थी तो.यज्ञ हवन आदि से ही वातावरण को बीमारी रहित बनाया जाता था।फ़्रांस के ट्रेले नामक वैज्ञानिक ने हवन पर रिसर्च की। जिसमें उन्हें पता चला की हवन मुख्यतः

रामायण

🌹रामायण में भोग नहीं, त्याग है* *भरत जी नंदिग्राम में रहते हैं, शत्रुघ्न जी  उनके आदेश से राज्य संचालन करते हैं।* *एक रात की बात हैं,माता कौशिल्या जी को सोते में अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी। नींद खुल गई । पूछा कौन हैं ?* *मालूम पड़ा श्रुतिकीर्ति जी हैं ।नीचे बुलाया गया ।* *श्रुतिकीर्ति जी, जो सबसे छोटी हैं, आईं, चरणों में प्रणाम कर खड़ी रह गईं ।* *माता कौशिल्या जी ने पूछा, श्रुति ! इतनी रात को अकेली छत पर क्या कर रही हो बिटिया ? क्या नींद नहीं आ रही ?* *शत्रुघ्न कहाँ है ?* *श्रुतिकीर्ति की आँखें भर आईं, माँ की छाती से चिपटी, गोद में सिमट गईं, बोलीं, माँ उन्हें तो देखे हुए तेरह वर्ष हो गए ।* *उफ ! कौशल्या जी का ह्रदय काँप गया ।* *तुरंत आवाज लगी, सेवक दौड़े आए । आधी रात ही पालकी तैयार हुई, आज शत्रुघ्न जी की खोज होगी, माँ चली ।* *आपको मालूम है शत्रुघ्न जी कहाँ मिले ?* *अयोध्या जी के जिस दरवाजे के बाहर भरत जी नंदिग्राम में तपस्वी होकर रहते हैं, उसी दरवाजे के भीतर एक पत्थर की शिला हैं, उसी शिला पर, अपनी बाँह का तकिया बनाकर लेटे मिले। *माँ सिराहने बैठ गईं, बालों में* *हाथ

पितृ पक्ष

🙏🍁‼️  पितृ पक्ष - तालिका ‼️🍁🙏 पितृपक्ष पारंभ 02 सितम्बर से 17 सितम्बर तक, पूर्णिमा श्राद्ध - 2/9/20फ़ बुधवार। ▪प्रतिपदा श्राद्ध -    3/9/20  गुरुवार ▪द्वितीया श्राद्ध -     4/9/20  शुक्रवार ▪तृतीया श्राद्ध -       5/9/20  शनिवार ▪चतुर्थी श्राद्ध -        6/9/20  रविवार ▪पंचमी श्राद्ध -        7/9/20  सोमवार ▪षष्ठी श्राद्ध -           8/9/20  मंगलवार ▪सप्तमी श्राद्ध -       9/9/20  बुधवार ▪अष्टमी श्राद्ध -       10/9/20  गुरुवार ▪नवमी श्राद्ध -        11/9/20  शुक्रवार ▪दशमी श्राद्ध -        12/9/20  शनिवार ▪एकादशी श्राद्ध -    13/9/20  रविवार ▪द्वादशी श्राद्ध -       14/9/20 सोमवार ▪त्रयोदशी श्राद्ध -     15/9/20 मंगलवार ▪चतुर्दशी श्राद्ध -      16/9/20 बुधवार ▪अमावस श्राद्ध -     17/9/20 गुरुवार पितृपक्ष में भूलकर भी ना करें ये गलतियां, पितरों की आत्मा हो जाती है नाराज 1 पितृपक्ष में सनातन धर्म के लोग अपने पितरों की पूजा-अर्चना और पिंडदान करते हैं। इस बार पितृपक्ष 2 सितंबर से शुरू हो रहे हैं और 17 सितंबर तक चलेंगे। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म और तर्पण किए

उज्जैन

*उज्जैन स्वर्ग है क्यौ है  जानते हैं ?*     एक मात्र स्थान जहाँ शक्तिपीठ भी है, ज्योतिर्लिंग भी है, कुम्भ महापर्व का भी आयोजन किया जाता है ।  *यहाँ साढ़े तीन काल विराजमान है* "महाँकाल,कालभैरव, गढ़कालिका और अर्धकाल भैरव।"     *यहाँ तीन गणेश विराजमान है।*       "चिंतामन,मंछामन, इच्छामन" *यहाँ 84 महादेव है,यही सात सागर है।।*     "ये भगवान कृष्ण की शिक्षा स्थली है।।"     *ये मंगल ग्रह की उत्पत्ति का स्थान है।।*       "यही वो स्थान है जिसने महाकवी कालिदास दिए।"    *उज्जैन विश्व का एक मात्र स्थान है जहाँ अष्ट चरिंजवियो का मंदिर है,यह वह ८ देवता है जिन्हें अमरता का वरदान है (बाबा गुमानदेव हनुमान अष्ट चरिंजीवि मंदिर)*     "राजा विक्रमादित्य ने इस धरा का मान बढ़ाया।।"      *विश्व की एक मात्र उत्तर प्रवाह मान क्षिप्रा नदी!!*   "इसके शमशान को भी तीर्थ का स्थान प्राप्त है *चक्र तीर्थ* । और तो और पूरी दुनिया का *केंद्र बिंदु* _(Central Point)_ है महाकाल जी का मंदिर    _*महाभारत की एक कथानुसार उज्जैन स्वर्ग है।।*  _यदि आप भी *अवंतिका* एवं *कालों के

ढाई अक्षर

*शिवम् शरणम् गच्छामि* *शिवो वेदा वेदो शिवम्* *अक्षर ढाई ~ जिसमें बहुत कुछ बन्धु मेरे भाई~~~* *ज्ञान मार्ग जब,* *खोजने निकला,* *मार्ग मिला, अलबेला।* *जहां भी जाऊं,* *जिधर भी देखूं,* *मिले ढाई अक्षर, का मेला।* *सोचा इक पल,* *ध्यान लगा कर* *क्या होता है,* *अक्षर ढाई~~~* *आया मेरी,* *समझ में जो,* *बतलाता हूं,* *मैं वो बन्धु/भाई~~~* *रह जाता सब'* *ज्ञान अधूरा'* *जो ना मिलता,* *उत्तर बन्धु/भाई~~~* 🙏🏻🏵️🙏🏻 🌹🌹🌹 *ढाई अक्षर का वक्र,* *और ढाई अक्षर का तुण्ड।* *ढाई अक्षर की रिद्धि,* *और ढाई अक्षर की सिद्धि।* *ढाई अक्षर का शंभु,* *और ढाई अक्षर की अम्बा* *ढाई अक्षर का ब्रम्हा,* *और ढाई अक्षर की सृष्टि।* *ढाई अक्षर का विष्णु,* *और ढाई अक्षर की लक्ष्मी।* *ढाई अक्षर का कृष्ण,* *और ढाई अक्षर की कांता।* (राधा रानी का दूसरा नाम) *ढाई अक्षर की दुर्गा,* *और ढाई अक्षर की शक्ति।* *ढाई अक्षर की श्रद्धा,* *और ढाई अक्षर की भक्ति।* *ढाई अक्षर का त्याग,* *और ढाई अक्षर का ध्यान।* *ढाई अक्षर की तृप्ति,* *और ढाई अक्षर की तृष्णा।* *ढाई अक्षर का धर्म,* *और ढाई अक्षर का कर्म।* *ढाई अक्षर का भाग्य,* *और ढा

ढाई की महिमा

*शिवम् शरणम् गच्छामि* *शिवो वेदा वेदो शिवम्* *अक्षर ढाई ~ जिसमें बहुत कुछ बन्धु मेरे भाई~~~* *ज्ञान मार्ग जब,* *खोजने निकला,* *मार्ग मिला, अलबेला।* *जहां भी जाऊं,* *जिधर भी देखूं,* *मिले ढाई अक्षर, का मेला।* *सोचा इक पल,* *ध्यान लगा कर* *क्या होता है,* *अक्षर ढाई~~~* *आया मेरी,* *समझ में जो,* *बतलाता हूं,* *मैं वो बन्धु/भाई~~~* *रह जाता सब'* *ज्ञान अधूरा'* *जो ना मिलता,* *उत्तर बन्धु/भाई~~~* 🙏🏻🏵️🙏🏻 🌹🌹🌹 *ढाई अक्षर का वक्र,* *और ढाई अक्षर का तुण्ड।* *ढाई अक्षर की रिद्धि,* *और ढाई अक्षर की सिद्धि।* *ढाई अक्षर का शंभु,* *और ढाई अक्षर की अम्बा* *ढाई अक्षर का ब्रम्हा,* *और ढाई अक्षर की सृष्टि।* *ढाई अक्षर का विष्णु,* *और ढाई अक्षर की लक्ष्मी।* *ढाई अक्षर का कृष्ण,* *और ढाई अक्षर की कांता।* (राधा रानी का दूसरा नाम) *ढाई अक्षर की दुर्गा,* *और ढाई अक्षर की शक्ति।* *ढाई अक्षर की श्रद्धा,* *और ढाई अक्षर की भक्ति।* *ढाई अक्षर का त्याग,* *और ढाई अक्षर का ध्यान।* *ढाई अक्षर की तृप्ति,* *और ढाई अक्षर की तृष्णा।* *ढाई अक्षर का धर्म,* *और ढा

पितृ पक्ष

*#पितृ_श्राद्ध_आरम्भ* पूर्णिमा श्राद्ध - 2/9/20, बुधवार 1  प्रतिपदा श्राद्ध - 3/9/20 गुरुवार 2  द्वितीया श्राद्ध -  4/9/20  शुक्रवार 3 तृतीया श्राद्ध- 5/9/20 शनिवार 4  चतुर्थी श्राद्ध-6/9/20 रविवार 5  पंचमी श्राद्ध- 7/9/20 सोमवार 6 षष्ठी श्राद्ध-8/9/20 मंगलवार 7 सप्तमी श्राद्ध- 9/9/20 बुधवार 8 अष्टमी श्राद्ध-  10/9/20 गुरुवार 9 नवमी श्राद्ध- 11/9/20 शुक्रवार 10  दशमी श्राद्ध- 12/9/20 शनिवार 11  एकादशी श्राद्ध- 13/9/20 रविवार 12  द्वादशी श्राद्ध- 14/9/20 सोमवार 13  त्रयोदशी श्राद्ध- 15/9/20 मंगलवार 14  चतुर्दशी श्राद्ध- 16/9/20 बुधवार 15  सर्वपितृ अमावस श्राद्ध 17/9/20 गुरुवार *#घर_के_प्रेत_या_पितर_रुष्ट_होने_के_लक्षण_और_उपाय* ---------------------------------- बहुत जिज्ञासा होती है आखिर ये पितृदोष है क्या? पितृ -दोष शांति के सरल उपाय पितृ या पितृ गण कौन हैं ?आपकी जिज्ञासा को शांत करती विस्तृत प्रस्तुति। पितृ गण हमारे पूर्वज हैं जिनका ऋण हमारे ऊपर है ,क्योंकि उन्होंने कोई ना कोई उपकार हमारे जीवन के लिए किया है मनुष्य लोक से ऊपर पितृ लोक है,पितृ लोक के ऊपर सूर्य लोक है एवं इस से भी ऊपर स

ब्राह्मण

*ब्राह्मण क्यों देवता ?* *नोट--*_कुछ आदरणीय मित्रगण कभी -कभी मजाक में या  कभी जिज्ञासा में,  कभी गंभीरता से  एक प्रश्न करते है कि_  *ब्राम्हण को इतना सम्मान क्यों दिया जाय या दिया जाता है ?*             _इस तरह के बहुत सारे प्रश्न  समाज के नई पिढियो के लोगो कि भी जिज्ञासा का केंद्र बना हुवा है ।_ _*तो आइये  देखते है हमारे  धर्मशास्त्र क्या कहते है इस विषय में----*_                              *शास्त्रीय मत* _पृथिव्यां यानी तीर्थानि तानी तीर्थानि सागरे ।_ _सागरे  सर्वतीर्थानि पादे विप्रस्य दक्षिणे ।।_ _चैत्रमाहात्मये तीर्थानि दक्षिणे पादे वेदास्तन्मुखमाश्रिताः  ।_ _सर्वांगेष्वाश्रिता देवाः पूजितास्ते तदर्चया  ।।_ _अव्यक्त रूपिणो विष्णोः स्वरूपं ब्राह्मणा भुवि ।_ _नावमान्या नो विरोधा कदाचिच्छुभमिच्छता ।।_ *•अर्थात पृथ्वी में जितने भी तीर्थ हैं वह सभी समुद्र में मिलते हैं और समुद्र में जितने भी तीर्थ हैं वह सभी ब्राह्मण के दक्षिण पैर में  है । चार वेद उसके मुख में हैं  अंग में सभी देवता आश्रय करके रहते हैं इसवास्ते ब्राह्मण को पूजा करने से सब देवों का पूजा होती है । पृथ्वी में ब्राह्मण ज

वैदिक घड़ी

*वैदिक घड़ी* देखिये आपकी घड़ी क्या कहती है ◆ 12:00 बजने के स्थान पर आदित्या: लिखा हुआ है, जिसका अर्थ यह है कि सूर्य 12 प्रकार के होते हैं... अंशुमान, अर्यमन, इंद्र, त्वष्टा, धातु, पर्जन्य, पूषा, भग, मित्र, वरुण, विवस्वान और विष्णु ◆ 1:00 बजने के स्थान पर ब्रह्म लिखा हुआ है, इसका अर्थ यह है कि ब्रह्म एक ही प्रकार का होता है। एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति ◆ 2:00 बजने की स्थान पर अश्विनौ लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि अश्विनी कुमार दो हैं। ◆ 3:00 बजने के स्थान पर त्रिगुणा: लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य यह है कि गुण तीन प्रकार के हैं। सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण। ◆ 4:00 बजने के स्थान पर चतुर्वेदा: लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य यह है कि वेद चार प्रकार के होते हैं। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। ◆ 5:00 बजने के स्थान पर पंचप्राणा: लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य है कि प्राण पांच प्रकार के होते हैं। अपान, समान, प्राण, उदान और व्यान ◆ 6:00 बजने के स्थान पर षड्र्सा: लिखा हुआ है, इसका तात्पर्य है कि रस 6 प्रकार के होते हैं। मधुर, अमल, लवण, कटु, तिक्त और कसाय ◆ 7:00 बजे के स्थान पर सप्तर्षय: लिखा हुआ

रक्षा सूत्र

त्रिपाठी ': तिवारी ब्राह्मणों का यज्ञोपवीत पर्व॥     बहनें अपने भाइयों को बांधती हैं रक्षासूत्र ॥ सुप्रभात मित्रो ! आज  उत्तराखंड के तिवारी त्रिपाठी बंधुओं द्वारा यज्ञोपवीत धारण तथा रक्षासूत्र बंधन का पर्व ' मनाया जा रहा है। कुमाऊं में तिवारी, तिवाड़ी, तेवारी,तेवाड़ी, त्रिपाठी, त्रिवेदी आदि उपनामों से प्रचलित सामवेदी ब्राह्मण आज के दिन ‘हस्त’ नक्षत्र में ही ‘हरताली’ तीज पर जनेऊ धारण करते हैं। हरताली के दिन प्रातःकाल यज्ञोपवीत धारण किया जाता है और बहनें अपने भाइयों को रक्षासूत्र बांधती हैं तथा उनके सौभाग्यशाली जीवन एवं दीर्घायुष्य की कामना करती हैं।  प्राचीन काल से ही परम्परा चली आ रही है कि  उत्तराखंड तथा पार्श्ववर्ती क्षेत्र   के तिवारी ब्राह्मण श्रावण पूर्णिमा के बदले आज भाद्रपद मास 'हस्त' नक्षत्र में यज्ञोपवीत धारण और रक्षाबंधन का पर्व मनाते आते आए हैं हालांकि इस संबंध में पहले मुझे भी यह विशेष जानकारी नहीं थी कि तिवारी समुदाय के लोग श्रावणी पूर्णिमा को छोड़कर हरतालिका तीज के अवसर पर जनेऊ संस्कार और रक्षाबंधन का त्योहार क्यों मनाते हैं ? बाद में मैंने इस जिज्ञासा को क

गणेश चतुर्थी

श्री गणेश चतुर्थी एवं श्रीगणेश महोत्सव  22 अगस्त से 1 सितंबर 2020 विशेष 〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰 सभी सनातन धर्मावलंबी प्रति वर्ष गणपति की स्थापना तो करते है लेकिन हममे से बहुत ही कम लोग जानते है कि आखिर हम गणपति क्यों बिठाते हैं ? आइये जानते है। हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की है। लेकिन लिखना उनके वश का नहीं था। अतः उन्होंने श्री गणेश जी की आराधना की और गणपति जी से महाभारत लिखने की प्रार्थना की। गणपती जी ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ और इस कारण गणेश जी को थकान तो होनी ही थी, लेकिन उन्हें पानी पीना भी वर्जित था। अतः गणपती जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की। मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई, इसी कारण गणेश जी का एक नाम पर्थिव गणेश भी पड़ा। महाभारत का लेखन कार्य 10 दिनों तक चला। अनंत चतुर्दशी को लेखन कार्य संपन्न हुआ। वेदव्यास ने देखा कि, गणपती का शारीरिक तापमान फिर भी बहुत बढ़ा हुआ है और उनके शरीर पर लेप की गई मिट्टी सूखकर झड़ रही है

मुर्दों के प्रकार

*14 प्रकार के मुर्दे।* _*राम और रावण का युद्ध चल रहा था।*_ तब अंगद रावण को बोला तु तो मुर्दा है। तुझे मारने से क्या फायदा? रावण बोला मैं जिंदा हूँ मुर्दा कैसे?  अंगद बोले *सिर्फ सांस लेनेवालों को जिंदा नही कहते सांस तो लुहार का भाता भी लेता है*, तब अंगद ने 14 प्रकार के मुर्दों के लक्षण बताये। _अंगद द्वारा रावण को बताई गई ये बातें आज के दौर में भी लागू होती हैं।_ 👉 यदि किसी व्यक्ति में *इन 14 दुर्गुणों में से एक दुर्गुण भी आ जाता है तो वह मृतक समान हो जाता है।* विचार करें कहीं यह दुर्गुण हमारे पास तो नहीं.... और हमें मृतक समान माना जाय। 1. *वाम मार्गी-* जो व्यक्ति पूरी दुनिया से उल्टा चले। जो संसार की हर बात के पीछे नकारात्मकता खोजता हो। नियमों, परंपराओं और लोक व्यवहार के खिलाफ चलता हो, वह वाम मार्गी कहलाता है। ऐसे काम करने वाले लोग मृत समान माने गए हैं। 2. *कंजूस-* अति कंजूस व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जो व्यक्तिधर्म के कार्य करने में, आर्थिक रूप से किसी कल्याण कार्य में हिस्सा लेने में हिचकता हो। दान करने से बचता हो। ऐसा आदमी भी मृत समान ही है। 3. *कामवश-* जो व्यक्ति अत्यंत भोगी हो,

नारी

नारी की महिमा और वेदों में नारी का स्थान  परिचय  जब  से सृष्टि की रचना हुई है, तब से ही शायद हम  नारी को सशक्त करने की बात सोच रहे हैं ।वह शायद इसलिए क्योंकि प्रकृति ने नारी को कोमल, ममतामयी,करुणामयी,सहनशील,आदि गुणों से भरपूर  बनाया है ।तब से लेकर आज तक हम नारी को हर रूप में सशक्त करने के बात सोच रहे हैं ।और आज तक नारी कितनी सशक्त हुई है ,कितनी सबल हो चुकी है ,यह हम सब जानते हैं ।यह सब बातें प्रमाणिक है और इन सब का हमारे जीवन पर अत्यधिक प्रभाव भी पड़ता है ,पड़ता जा रहा है।  परंतु इन सबसे हटकर मैं आज नारी सशक्तिकरण के दूसरे पहलू पर आपका ध्यानाकर्षित करना चाहती हूं। नारी तो प्रारंभ से ही सशक्त है। इसका प्रमाण तो  पग - पग पर मिलता है ।ये क्या प्रमाण हैं , इन सबको बताने से पहले मै यहां यह स्पष्ट करना चाहती हूं कि नारी को यह महसूस क्यों हुआ कि उसे सशक्त होना है, होना पड़ेगा, और होना ही चाहिए । वो इसलिए कि हमारे समाज में कई लोग उसकी क्षमता को पहचान नहीं पाए ,जान नहीं पाए, और जान पाए तो, मान नहीं पाए, या मानना ही नहीं चाहते है कि नारी हर क्षेत्र में, हर काम में, बेहतर हो सकती है। इसलिए अपने आ

आ अब लौट चलें

अपनी जड़ों की ओर लौटिए। अपने सनातन मूल की ओर लौटिए, व्रत, पर्व, त्यौहारों को मनाइए अपनी संस्कृति और सभ्यता को जीवंत कीजिये। आपस में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़, पद व पैसे के घमंड को थोड़ी देर छोड़कर इस पर भी विचार करें :- ० यदि मातृनवमी थी तो मदर्स डे क्यों लाया गया? ० यदि कौमुदी महोत्सव था तो वेलेंटाइन डे क्यों लाया गया? ० यदि गुरुपूर्णिमा थी तो टीचर्स डे क्यों लाया गया? ० यदि धन्वन्तरि जयन्ती थी तो डाक्टर्स डे क्यों लाया गया? ० यदि विश्वकर्मा जयंती थी तो प्रद्यौगिकी दिवस क्यों लाया? ० यदि सन्तान सप्तमी थी तो चिल्ड्रन्स डे क्यों लाया गया? ० यदि नवरात्रि और कंजिका भोज था तो डॉटर्स डे क्यों लाया? ० रक्षाबंधन है तो सिस्टर्स डे क्यों? ० भाईदूज है ब्रदर्स डे क्यों? ० आंवला नवमी, तुलसी विवाह मनाने वाले हिंदुओं को एनवायरमेंट डे की क्या आवश्यकता? ० केवल इतना ही नहीं ---- नारद जयन्ती ब्रह्माण्डीय पत्रकारिता दिवस है। ० पितृपक्ष 7 पीढ़ियों तक के पूर्वजों का पितृपर्व है। ० नवरात्रि को स्त्री के नवरूप दिवस के रूप में स्मरण कीजिये।      सनातन पर्वों को अवश्य मनाईये।      संस्कृति विस्मरण और रूपांतरण