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Showing posts from September, 2017

"परिणय"। गीत

"परिणय"  गीत आ जाओ मेरे साजन,  बनके करार दिल के रिश्ते हैं यह तन मन के,  आओ निभाएं मिलके,  आ जाओ मेरे साजन,  बनके करार दिल के..........                        1 मुझको बनाके अपना,  लाए जब अपने अंगना हर नाता मेरा छूटा, जब तुम बने हो सजना, रिश्ता नया बना है,  बजते सितार दिल के रिश्ते हैं यह तन मन के,  आओ निभाएँ मिलके आ जाओ मेरे साजन,  बनकर करार दिल के..........                        2 मेरे साथी मेरे हमदम, चलना हमेशा आगे,  अनुगामिनी बनू मैं,  दिल में है भाव जागे आशीष मिले सबका, सुख-दुख सहेंगे मिलके,    रिश्ते हैं यह तन मन के, आओ निभाएं मिलके आ जाओ मेरे साजन बनके करार दिल के के  ........                        3   वादा करो ये मुझसे, वफा करोगे दिल से, हर गम मुझे कहोगे, तन्हा न कुछ सहोगे,    हर जनम यूं ही मिलना,  मेरा सिंगार बन के रिश्ते हैं यह तन मन के,  आओ निभाएं मिलके, आजा ओ मेरे साजन,  बनके करार दिल्ली के..... लेखिका डॉ विदुषी शर्मा

नारी सशशक्तिकरण

महिला जीवन और चुनौतियां नारी सशक्तिकरण परिचय जब  से सृष्टि की रचना हुई है, तब से ही शायद हम  नारी को सशक्त करने की बात सोच रहे हैं ।वह शायद इसलिए क्योंकि प्रकृति ने नारी को कोमल, ममतामयी,करुणामयी,सहनशील,आदि गुणों से भरपूर  बनाया है ।तब से लेकर आज तक हम नारी को हर रूप में सशक्त करने के बात सोच रहे हैं ।और आज तक नारी कितनी सशक्त हुई है ,कितनी सबल हो चुकी है ,यह हम सब जानते हैं ।यह सब बातें प्रमाणिक है और इन सब का हमारे जीवन पर अत्यधिक प्रभाव भी पड़ता है ,पड़ता जा रहा है। परंतु इन सबसे हटकर मैं आज नारी सशक्तिकरण के दूसरे पहलू पर आपका ध्यानाकर्षित करना चाहती हूं। नारी तो प्रारंभ से ही सशक्त है। इसका प्रमाण तो  पग - पग पर मिलता है ।ये क्या प्रमाण हैं , इन सबको बताने से पहले मै यहां यह स्पष्ट करना चाहती हूं कि नारी को यह महसूस क्यों हुआ कि उसे सशक्त होना है, होना पड़ेगा, और होना ही चाहिए । वो इसलिए कि हमारे समाज में कई लोग उसकी क्षमता को पहचान नहीं पाए ,जान नहीं पाए, और जान पाए तो, मान नहीं पाए, या मानना ही नहीं चाहते है कि नारी हर क्षेत्र में, हर काम में, बेहतर हो सकती है। इसलिए अपने आ

वर्तमान समय में शिक्षक

वर्तमान समय में एक शिक्षक की भूमिका:- (विद्यार्थियों के संदर्भ में) वर्तमान युग है आधुनिकता का ,वैज्ञानिकता का, व्यस्तता का, अस्थिरता का, जल्दबाजी का। आज का विद्यार्थी जीवन भी इन्ही समस्याओं से ग्रसित है। आज का विद्यार्थी जीवन पहले की तरह सहज, शांत और धैर्यवान नहीं ही रह गया है। क्योंकि आगे बढ़ना और तेजी से बढ़ना उसकी नियति, मजबूरी बन गई है ।वह इसलिए कि यदि वह ऐसा नहीं करेगा तो  ज़िंदगी की दौड़ में वह पीछे रह जायगा। तो यह वक्त का तकाजा है। ऐसे समय में विद्यार्थी जीवन को एक सही ,उचित,कल्याणकारी एवं दूरदर्शी दिशा निर्देश देना एक शिक्षक का पावन कर्तव्य है। वैसे तो शिक्षक की भूमिका सदैव ही अग्रगण्य रही है क्योंकि " राष्ट्र निर्माता है वह जो, सबसे बड़ा इंसान है, किसमें कितना ज्ञान है, बस इसको ही पहचान है"। एक राष्ट्र को बनाने में एक शिक्षक का जितना  सहयोग है, योगदान है, उतना शायद किसी और का हो ही नहीं सकता ।क्योंकि एक राष्ट्र को उन्नति के चरम  शिखर पर ले जाते हैं उसके राजनेता, डॉक्टर ,इंजीनियर, उद्योगपति, लेखक, अभिनेता, खिलाड़ी आदि और परोक्ष रूप से इन सबको बनाने वाला कौन है