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Showing posts from October, 2017

दुनियाँ के महान खोजकार्य एवम हमारे ऋषियों से उनका संबंध

दुनियां के महान खोज कार्य  (अन्वेषण) और उनकी वास्तविकता :हमारे ऋषि मुनियों के संदर्भ में। *वैज्ञानिक ऋषि-मुनि : जानिए कल्पना को हकीकत बनाने वाले उनके आविष्कार। 🚩भारत की धरती को ऋषि, मुनि, सिद्ध और देवताओं की भूमि के नाम से पुकारा जाता है। यह कई तरह के विलक्षण ज्ञान व चमत्कारों से अटी पड़ी है। सनातन धर्म वेदों को मानता है। प्राचीन ऋषि-मुनियों ने घोर तप, कर्म, उपासना, संयम के जरिए वेदों में छिपे इस गूढ़ ज्ञान व विज्ञान को ही जानकर हजारों साल पहले कुदरत से जुड़े कई रहस्य उजागर करने के साथ कई आविष्कार किये व युक्तियां बताई। ऐसे विलक्षण ज्ञान के आगे आधुनिक विज्ञान भी नतमस्तक होता है। 🚩कई ऋषि-मुनियों ने तो वेदों की मंत्र-शक्ति को कठोर योग व तपोबल से साधकर ऐसे अद्भुत कारनामों को अंजाम दिया कि बड़े-बड़े राजवंश व महाबली राजाओं को भी झुकना पड़ा। 🚩भास्कराचार्य – आधुनिक युग में धरती की #गुरुत्वाकर्षण शक्ति (पदार्थों को अपनी ओर खींचने की शक्ति) की खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है। किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण का रहस्य न्यूटन से भी कई सदियों पहले भास्कराचार्यजी ने उजागर किय

धर्म संसार | भारत का पहला धार्मिक ब्लॉग: ३३ कोटि देवताओं का रहस्य

धर्म संसार | भारत का पहला धार्मिक ब्लॉग: ३३ कोटि देवताओं का रहस्य

नारी जीवन और उसके जीवन की क्रमशः चुनोतियाँ

महिला जीवन और चुनौतियां  नारी सशक्तिकरण  परिचय  जब  से सृष्टि की रचना हुई है, तब से ही शायद हम  नारी को सशक्त करने की बात सोच रहे हैं ।वह शायद इसलिए क्योंकि प्रकृति ने नारी को कोमल, ममतामयी,करुणामयी,सहनशील,आदि गुणों से भरपूर  बनाया है ।तब से लेकर आज तक हम नारी को हर रूप में सशक्त करने के बात सोच रहे हैं ।और आज तक नारी कितनी सशक्त हुई है ,कितनी सबल हो चुकी है ,यह हम सब जानते हैं ।यह सब बातें प्रमाणिक है और इन सब का हमारे जीवन पर अत्यधिक प्रभाव भी पड़ता है ,पड़ता जा रहा है। परंतु इन सबसे हटकर मैं आज नारी सशक्तिकरण के दूसरे पहलू पर आपका ध्यानाकर्षित करना चाहती हूं। नारी तो प्रारंभ से ही सशक्त है। इसका प्रमाण तो  पग - पग पर मिलता है ।ये क्या प्रमाण हैं , इन सबको बताने से पहले मै यहां यह स्पष्ट करना चाहती हूं कि नारी को यह महसूस क्यों हुआ कि उसे सशक्त होना है, होना पड़ेगा, और होना ही चाहिए । वो इसलिए कि हमारे समाज में कई लोग उसकी क्षमता को पहचान नहीं पाए ,जान नहीं पाए, और जान पाए तो, मान नहीं पाए, या मानना ही नहीं चाहते है कि नारी हर क्षेत्र में, हर काम में, बेहतर हो सकती है। इसलिए अपन

परिणय

"परिणय"  गीत आ जाओ मेरे साजन,  बनके करार दिल के रिश्ते हैं यह तन मन के,  आओ निभाएं मिलके,  आ जाओ मेरे साजन,  बनके करार दिल के..........                        1 मुझको बनाके अपना,  लाए जब अपने अंगना हर नाता मेरा छूटा, जब तुम बने हो सजना, रिश्ता नया बना है,  बजते सितार दिल के रिश्ते हैं यह तन मन के,  आओ निभाएँ मिलके आ जाओ मेरे साजन,  बनकर करार दिल के..........                        2 मेरे साथी मेरे हमदम, चलना हमेशा आगे,  अनुगामिनी बनू मैं,  दिल में है भाव जागे आशीष मिले सबका, सुख-दुख सहेंगे मिलके,    रिश्ते हैं यह तन मन के, आओ निभाएं मिलके आ जाओ मेरे साजन बनके करार दिल के के  ........                        3   वादा करो ये मुझसे, वफा करोगे दिल से, हर गम मुझे कहोगे, तन्हा न कुछ सहोगे,    हर जनम यूं ही मिलना,  मेरा सिंगार बन के रिश्ते हैं यह तन मन के,  आओ निभाएं मिलके, आजा ओ मेरे साजन,  बनके करार दिल के..... लेखिका डॉ विदुषी शर्मा

शुभ दीपावली

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भारतीयता

बोधकथा भारतीय स्वाभिमान रवि अपने दादा जी के साथ आज उनके शहर कुरुक्षेत्र आया है ।उसे अपने दादा जी के साथ रहना बहुत अच्छा लगता है, और लगे भी क्यों ना ?उसके दादू उसके अभिन्न मित्र हैं ,अंगरक्षक है, पथ प्रदर्शक हैं, उसके सुख- दुख के साथी हैं ,और उसके सभी मित्रों की ढेर सारी बातें सुनने के लिए एकमात्र व्यक्ति। तो इतनी सब चीजों को कोई कैसे छोड़ सकता है यानि All in One . आज रवि अपने दादू के साथ कुरुक्षेत्र आया है, तो सारे रास्ते वह जो भी देखता है, उसी के बारे में सवाल पूछता रहता है ।उसके दादू भी रवि की मासूमियत और उसकी जिज्ञासा दोनों को ही पसंद करते हैं। उसके दादू बड़े प्रेम ,धैर्य और विस्तार से रवि की हर बात का जवाब देते हैं । अब रवि ने ब्रह्म सरोवर में स्नान किया और अब बारी थी उसके सवालों की झड़ी की, तो दादू तो इसके लिए पहले ही तैयार थे। कुछ तो उनकी शिक्षा ,अनुभव ने उन्हें सिखा दिया था और कुछ अब उन का पोता रवि उन्हें सिखाने  में लगा हुआ था, क्योंकि रवि जहां भी जाता है, वह उस के स्थान के नाम, उसकी पहचान, उस स्थान की विशेषता आदि से संबंधित पूरी प्रमाणिक जानकारी  जब तक प्राप्त नहीं कर लेता