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हरिद्वार कुंभ 2021

हरिद्वार कुंभ 2021 कुंभ का शाब्दिक अर्थ कलश होता है। कुंभ का पर्याय पवित्र कलश से होता है। इस कलश का हिन्दू सभ्यता में विशेष महत्व है। कलश के मुख को भगवान विष्णु, गर्दन को रुद्र, आधार को ब्रह्मा, बीच के भाग को समस्त देवियों और अंदर के जल को संपूर्ण सागर का प्रतीक माना जाता है। यह चारों वेदों का संगम है। इस तरह कुंभ का अर्थ पूर्णतः औचित्य पूर्ण है। वास्तव में कुंभ हमारी सभ्यता का संगम है। यह आत्म जागृति का प्रतीक है। यह मानवता का अनंत प्रवाह है। यह प्रकृति और मानवता का संगम है। कुंभ ऊर्जा का स्त्रोत है। कुंभ मानव-जाति को पाप, पुण्य और प्रकाश, अंधकार का एहसास कराता है। नदी जीवन रूपी जल के अनंत प्रवाह को दर्शाती है। मानव शरीर पंचतत्वों से निर्मित है यह तत्व हैं-अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी और आकाश। इसलिए कुंभ अपने आप में एक पूर्ण सार्थकता लिए हुए है। कुंभ भगवान विष्णु का नाम है। कुंभ शब्द चुरादि-गणीय। (विष्णु सहस्त्रनाम-श्लोक 87)  कुभि (कुंभ) आच्छादन धातु से विपन्न होता है। जो आच्छान करता है, ढकता है, आवृत किए रहता है। इसलिए वह भी कुंभ है। इसे कमु कान्तै धातु से जोड़ने पर अमृत प्राप्ति की कामना

रावण का परिवार

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रावण का परिवार रावण के विषय में तो हम सभी जानते ही हैं, किन्तु रावण के परिवार के विषय में बहुत लोगों को अधिक जानकारी नहीं है। आज इस लेख में हम संक्षेप में रावण के परिवार के विषय में जानेंगे। ध्यान दें कि यहाँ केवल रावण के व्यक्तिगत परिवार का विवरण दिया जा रहा है। सम्पूर्ण  राक्षस वंश  के विषय में एक लेख हमने पहले ही प्रकाशित किया है जिसे आप  यहाँ  पढ़ सकते हैं। रावण के पिता  सप्तर्षियों  में से एक  महर्षि पुलत्स्य  के पुत्र महर्षि  विश्रवा  थे। महर्षि विश्रवा की पहली पत्नी का नाम इलविदा था जिनसे उन्हें कुबेर नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। कुबेर यक्षों के अधिपति बनें। विश्रवा ने दूसरा विवाह सुमाली नामक राक्षस की पुत्री  कैकसी  से किया। विश्रवा और कैकसी के तीन पुत्र हुए -  रावण ,  कुम्भकर्ण  एवं  विभीषण । इसके अतिरिक्त दोनों की एक कन्या भी थी -  शूर्पणखा । वैसे तो रावण की कई पत्नियां थी किन्तु रामायण में रावण की दो प्रमुख पत्नियों और छः पुत्रों का वर्णन मिलता है: मंदोदरी :  ये मयासुर और हेमा की बड़ी पुत्री थी और रावण की पटरानी। मायावी और दुदुम्भी इसके भाई थे जिनका वध वानर राज बाली ने किया। इन