भविष्य की भाषा और वैश्विक चुनौतियां
भविष्य की भाषा और वैश्विक चुनौतियां परिचय---- भाषा वह साधन है जो अपने जज्बात, अपनी भावनाएं, अपने सपने, अपनी नीतियां, अपने फैसले, अपनी सृजनात्मकता, अपने ज्ञान, नियम व संभावनाएं, अपनी जरूरतें, अपनी इच्छाएं, अपनी जिंदगी के कुछ अनकहे, अनछुए पहलू इन सब को समेट कर या तो सबके सामने लिखित रूप में प्रकट कर दी जाती है या मौखिक रूप में जिनमें से कुछ मूक भाषा की परिधि में भी आते हैं जैसे आंखों की भाषा, इशारों की भाषा , इन सब को शब्दों में व्यक्त कर पाना कठिन कार्य है।( इनमें से कुछ ऐसा भी लिखित हो सकता है जो सदा के लिए कुछ डायरी के पन्नों में ही दफन हो जाते हैं जिसे एकांत में स्वयं के ही दिल को बहलाने का कार्य करते हैं।) इसके बाद भाषा का औपचारिक लिखित रूप प्राप्त होता है जिससे साहित्य का निर्माण होता है जो विषय विविधता पर आधारित होकर हमारी सभ्यता एवं संस्कृति को सहेज कर रखता है तथा आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित स्थानांतरित करता है। समय के साथ - साथ इसमें और अधिक विस्तार होता जाता है तथा यह आवश्यक भी है क्योंकि परिवर्तन और परिवर्धन प्रकृति का नियम है । हमारी हिंदी भविष्य की भाषा है क्योंक