हनुमान चालीसा का रहस्य
हनुमान चालीसा का रहस्य आइये आज गोस्वामी तुलसीदास कृत "हनुमान चालीसा " के मूल रहस्य की बात करते हैं । क्योंकि इसको ( किसी साधारण कवि ने नहीं ) तुलसीदास ने लिखा है । और इसका योग साधना से गहरा सम्बन्ध है । इसमें जो मुख्य पात्र हनुमान है । उसका अर्थ ही ऐसे साधक या भक्त से है - जो पूर्णतया मान रहित होकर भक्त हो गया हो । मैंने कल के ( शंकर का धनुष तोङने वाले ) लेख में कहा था । आपको आध्यात्म में प्रत्येक पात्र का नाम विशेष अर्थ लिये मिलेगा । यही बात हनुमान पवन सुत आदि नाम में भी है । एक और बात भी है । ये विशेष प्रकार के भक्ति पद 40 दोहों में क्यों होते हैं ? मेरे विचार से - 5 तत्वों का शरीर + 5 ज्ञानेन्द्रियां + 5 कर्मेन्द्रियां + शरीर की 25 प्रकृतियां = 40 इसलिये ये इसी मनुष्य शरीर की ज्ञान अज्ञान भक्ति आदि का वर्णन है । तब आईये । हनुमान चालीसा का सही अर्थ समझने की कोशिश करें । श्री गुरु चरण सरोज रज । निज मनु मुकुर सुधारि । बरनऊँ रघुबर बिमल जसु । जो दायकु फल चारि । ( श्री ) का अर्थ सम्पदा या ऐश्वर्य से है । ये जिसके भी आगे लगा है । उसके ऐश्वर्य का प्रतीक है । ये जिस अस्तित्