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Showing posts from 2017

फुर्सत

फुर्सत.......... एक फ़कीर नदी के किनारे बैठा था.  किसी ने पूछा : 'बाबा क्या कर रहे हो?' फ़कीर ने कहा : 'इंतज़ार कर रहा हूँ की पूरी नदी बह जाएं तो फिर पार करूँ' उस व्यक्ति ने कहा :  'कैसी बात करते हो बाबा पूरा जल बहने के इंतज़ार मे तो तुम कभी नदी पार ही नही कर पाओगे' फ़कीर ने कहा "यही तो मै तुम लोगो को समझाना चाहता हूँ की तुम लोग जो सदा यह कहते रहते हो की एक बार जीवन की ज़िम्मेदारियाँ पूरी हो जाये तो मौज करूँ, घूमूँ फिरू, सबसे मिलूँ, सेवा करूँ... जैसे नदी का जल खत्म नही होगा हमको इस जल से ही पार जाने का रास्ता बनाना है इस प्रकार जीवन खत्म हो जायेगा पर जीवन के काम खत्म नही होंगे." क्यों न आज ही  जिंदगी को जिया जाए, छोड़ के हर ग़म को आज खुल के हंसा जाए।

सफलता की कहानी

सफलता की कहानी आज मैं बात कर रही हूं सफलता की, यानि सक्सेसsuccess ।किसी की भी जिंदगी में किसी भी प्रकार की सफलता (चाहे वह उसे किसी भी क्षेत्र में मिली हो जैसे खेल, साहित्य, मनोरंजन, कला इत्यादि) उसे ऐसे ही नहीं मिल जाती। उसके लिए उसे बहुत कुछ करना पड़ता है, बहुत कुछ सहना पड़ता है, बहुत कुछ करके दिखाना पड़ता है,  सीढ़ी  दर सीढी ऊपर जाना पड़ता है , तब कहीं जाकर सफलता हाथ लगती है। आजकल बहुत से लोग मुझे कह रहे हैं कि आजकल तो आप Facebook पर छाए हुए हो , नित नए अचीवमेंट, उपलब्धियां प्राप्त कर रहे हो तो, इन सब के पीछे मेरी अथक मेहनत है, मेरे बहुत से अरमान हैं जिन्हें मैं पूरा नहीं कर पाती हूं, मेरे परिवार का सहयोग है, मेरे बच्चों का त्याग है, मेरी सहनशीलता है, मेरी असफलताएं हैं और इसके साथ-साथ शादी के बाद का 19 साल का वह समय भी इसमें जोड़ा जाएगा जिस समय में मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पाई। केवल परिवार की ही होकर रह गई थी ।अब मुझे खुशी है कि मैं अपने पूरे दायित्व अब तक जो जरूरी थे, उन्हें निभाने के बाद समाज के लिये अपने दायित्व को निभाने आई हूं,समाज के सामने प्रस्तुत हुई हूं ,और पारिवारिक दायि

साहित्य और मीडिया : वर्तमान संदर्भ में।

साहित्य और मीडिया : वर्तमान संदर्भ में शोध सारांश---- साहित्य क्या है ? इसकी हमारे समाज में क्या उपयोगिता है ?और हमारे समाज के लिए यह क्या भूमिका निभा सकता है ?इसके बारे में शायद हम सब जानते हैं। "साहित्य समाज का दर्पण है"। वर्तमान संदर्भ में सोशल मीडिया का हर तरफ बोल बाला है जिसके कुछ नकारात्मक पक्ष तो है । परंतु यदि सोशल मीडिया के सकारात्मक पक्षों की बात करें तो इसकी नकारात्मकता नगण्य  हो जाती है। आज सोशल मीडिया द्वारा हम अपने प्राचीनतम इतिहास की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। हमारे वेद ,पुराण, श्रुतियां, उपनिषद, महाकाव्य, काव्य और जितने भी ग्रंथ हैं ,विभिन्न विषयों पर ऋषि मुनियों ने जिनकी रचनाएं की है ,उन सब की जानकारी हमें आज केवल एक क्लिक की दूरी पर प्राप्त हो जाती है जो हमारे लिए सौभाग्य की बात है। प्राचीन समय में कहां इतनी जद्दोजहद के बाद थोड़ी सी जानकारी उपलब्ध हो पाती थी ,परंतु आज हमारी मुट्ठी में ही दुनियां की सारी जानकारी उपलब्ध है। यह विज्ञान और सोशल मीडिया की देन है ।इसके द्वारा अपनी सभ्यता, संस्कृति ,परंपराएं और रीति-रिवाज, पौराणिक इतिहास एवं आध्यात्म

श्री रामचरितमानस में राम से आरंभ होने वाले चौपाईयां और दोहे तथा इनका महत्व

रामचरितमानस में "राम" से आरंभ होने वाली चौपाईयां और दोहे तथा इनका महत्व । मानस प्रेमी ही जान पायेगें कि तुलसीदास जी  ने कितना परिश्रम किया होगा, इस प्रस्तुति को संकलित करने में, हम कलयुगी जीव केवल इन्हें पढ़कर ही अपना जीवन सफल कर सकते हैं क्योंकि इन सब में "राम" है और जहाँ "राम" हैं वहां प्रेम है, भक्ति है, समर्पण है, विश्वास है, श्रद्धा है, त्याग है, मर्यादा है , करूणा है,और जब इतने सकारात्मक गुण  हमारे जीवन में एक साथ आ जाते हैं तो फिर वह जीवन वास्तव में ही सार्थक हो जाता है क्योंकि इन सब का किसी के भी जीवन में आना एक विशुद्ध चरित्र को जन्म देता है, यानी किसी भी मनुष्य के जीवन में यह सब गुण जब आ जाते हैं तो वह चरित्र  निश्चल, विनम्र, और विशुद्ध, आत्मीय तथा प्रभु के सामिप्य को प्राप्त करने वाला हो जाता है,  और कहते भी है ना 'राम से बड़ा राम का नाम' और "कलयुग केवल नाम अधारा, सिमर सिमर नर उतरहिं पारा। और जहां "राम" हैं वहां सब कुछ है। इसलिए यदि इन चौपाइयों के अर्थ हमें ना भी समझ में आए तो केवल पढ़ने भर से हमारे जीवन का उद्धा