त्रि युगी- भगवान विष्णु
आज एकादशी के उपलक्ष्य में एक सुंदर वृतांत। हुम सभी जानते हैं कि भगवान विष्णु को एकादशी तिथि कितनी प्रिय है। और श्री कृष्ण विष्णु जी के ही अवतार हैं। एक सुंदर कथा ...... हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे भगवान विष्णु को त्रि - युग कहते हैं। वे तीन युगों -- सत्य, त्रेता तथा द्वापर में प्रकट होते हैं, किन्तु कलियुग में नहीं होते, लेकिन प्रह्लाद महाराज की स्तुतियों से समझ में आता है कि वे भक्त के वेश में कलियुग में प्रकट होते हैं। भगवान् चैतन्य ही वे भक्त हैं। किन्तु उन्होंने कभी इस भेद को प्रकट नहीं किया कि कृष्ण भक्त के रूप में प्रकट हुए हैं, फिर भी रूप गोस्वामी ने उन्हें पहचान लिया, क्योंकि भगवान् स्वयं को शुद्ध भक्त से छिपा नहीं पाते। जब रूप गोस्वामी ने पहली बार भगवान् चैतन्य को नमस्कार किया तभी उनको पहचान गये थे। वे जान गये कि भगवान् चैतन्य स्वयं श्री कृष्ण है, अतः उन्होंने इन शब्दों में उनको प्रणाम किया, *" मैं श्री कृष्ण की प्रार्थना करता हूँ जो अब भगवान् चैतन्य के रूप में प्रकट हुए हैं। "* प्रह्लाद महाराज की स्तुति