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त्रि युगी- भगवान विष्णु

आज एकादशी के उपलक्ष्य में एक सुंदर वृतांत। हुम सभी जानते हैं कि भगवान विष्णु को एकादशी तिथि कितनी प्रिय है। और श्री कृष्ण  विष्णु जी के ही अवतार हैं। एक सुंदर कथा ...... हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे भगवान विष्णु को त्रि - युग कहते हैं। वे तीन युगों -- सत्य, त्रेता तथा द्वापर में प्रकट होते हैं,  किन्तु कलियुग में नहीं होते,  लेकिन प्रह्लाद महाराज की स्तुतियों से समझ में आता है कि वे भक्त  के वेश में कलियुग में प्रकट होते हैं। भगवान् चैतन्य ही वे भक्त हैं। किन्तु उन्होंने कभी इस भेद को प्रकट नहीं किया कि कृष्ण भक्त के रूप में प्रकट हुए हैं,  फिर भी रूप गोस्वामी ने उन्हें पहचान लिया,  क्योंकि भगवान् स्वयं को शुद्ध भक्त से छिपा नहीं पाते। जब रूप गोस्वामी ने पहली बार भगवान् चैतन्य को नमस्कार किया तभी उनको पहचान गये थे। वे जान गये कि भगवान् चैतन्य स्वयं श्री कृष्ण है,  अतः उन्होंने इन शब्दों में उनको प्रणाम किया, *" मैं श्री कृष्ण की प्रार्थना करता हूँ जो अब भगवान् चैतन्य के रूप में प्रकट हुए हैं। "* प्रह्लाद महाराज की स्तुति

हवन का महत्व

🔥 *हवन का महत्व* 🔥 भारतीय संस्कृति में हवन का अत्यधिक महत्व है ।हवन शुभ कार्य, मांगलिक कार्यों के प्रारंभ  में किया जाता है एवं विशेष  समारोहों जैसे नवरात्रि, जन्म अथवा मृत्यु के समय भी किया जाता है। आज हम हवन के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त करेंगे जो कि प्रामाणिक है। _____________________ फ़्रांस के ट्रेले नामक वैज्ञानिक ने हवन पर रिसर्च की। जिसमें उन्हें पता चला की हवन मुख्यतः 👇 आम की लकड़ी पर किया जाता है। जब आम की लकड़ी जलती है तो फ़ॉर्मिक एल्डिहाइड नामक गैस उत्पन्न होती है।जो कि खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणुओं को मारती है ।तथा वातावरण को शुद्द करती है। इस रिसर्च के बाद ही वैज्ञानिकों को इस गैस और इसे बनाने का तरीका पता चला। गुड़ को जलाने पर भी ये गैस उत्पन्न होती है। टौटीक नामक वैज्ञानिक ने हवन पर की गयी अपनी रिसर्च में ये पाया की यदि आधे घंटे हवन में बैठा जाये अथवा हवन के धुएं से शरीर का सम्पर्क हो तो टाइफाइड जैसे खतरनाक रोग फ़ैलाने वाले जीवाणु भी मर जाते हैं और शरीर शुद्ध हो जाता है। हवन की महत्ता देखते हुए राष्ट्रीय वनस्पति अनुसन्धान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों ने भी इस पर एक