नूतनसंवत्सरस्य(२०७८) शुभाशयाः।

नूतनसंवत्सरस्य(२०७८) शुभाशयाः।
नववर्षोऽयं शुभमस्तु!
नववर्षम्, शुभं भवतु नववर्षम्,
सौख्यमयं निरामयं वितरतु परमं हर्षम्।
शुभं भवतु नववर्षम्, नववर्षम्, नववर्षम्।।
भारतीय नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

भारतीय नववर्ष (नवसंवत्सर) - 
यह चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है । इस दिवस का बहुत महत्त्व है ।
ऐतिहासिक एवं सामाजिक महत्त्व-
 (१)भारत में प्रचलित सभी संवत्सरों  का प्रथम दिवस  ।
(२)  मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक इसी दिन हुआ ।
(३) उज्जयिनी के सम्राट् विक्रमादित्य ने इसी दिन शकों को पूर्ण रूप से परास्त कर विक्रमी संवत् प्रारंभ किया ।(४)गुरु अंगददेव जी का जन्म इसी दिन हुआ ।
(५) महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने आर्य समाज की स्थापना इसी दिन की। 
(६)  मां दुर्गा की उपासना नवरात्र इसी  दिन से प्रारंभ ।(७)सिंध प्रांत के प्रसिद्ध समाजरक्षक वरुणावतार संत झूलेलाल का जन्मदिन भी वर्ष प्रतिपदा ही है ।
(८) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक प.पू. डॉ. केशव राव बलिराम हेडगेवार जी का जन्म इसी दिन हुआ (१८८९ ई.।)
(९). शालिवाहन शकसंवत्  (भारत का राष्ट्रीयसंवत्)  का प्रथम दिन ।  
चैत्र शुक्ल १ नए वर्ष का प्रथम दिवस है ।
इसीलिए इसे वर्ष प्रतिपदा कहते हैं 
(१०). भारतीय ग्रंथों के अनुसार सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन  हुआ । सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने चैत्रशुक्ल ०१ को ही ब्रह्मांड की रचना आरंभ की ।
यही कारण है कि अपने देश में प्रचलित सभी संवत्  इसी दिन से प्रारंभ होते हैं । 
११.  युगाब्द - युग के शुरु होने के कारण (युगाब्द)  कहा जाता है ।प्रतिपदा के दिन कलयुग को ५००० से अधिक वर्ष हो गए हैं , इसे युधिष्ठिर संवत्  भी कहते हैं ।

डॉ विदुषी शर्मा

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