"परिणय"। गीत
"परिणय" गीत
आ जाओ मेरे साजन, बनके करार दिल के रिश्ते हैं यह तन मन के, आओ निभाएं मिलके,
आ जाओ मेरे साजन, बनके करार दिल के..........
1
मुझको बनाके अपना, लाए जब अपने अंगना
हर नाता मेरा छूटा, जब तुम बने हो सजना,
रिश्ता नया बना है, बजते सितार दिल के
रिश्ते हैं यह तन मन के, आओ निभाएँ मिलके
आ जाओ मेरे साजन, बनकर करार दिल के..........
2
मेरे साथी मेरे हमदम, चलना हमेशा आगे, अनुगामिनी बनू मैं, दिल में है भाव जागे
आशीष मिले सबका, सुख-दुख सहेंगे मिलके,
रिश्ते हैं यह तन मन के,
आओ निभाएं मिलके
आ जाओ मेरे साजन बनके करार दिल के के ........
3
वादा करो ये मुझसे, वफा करोगे दिल से,
हर गम मुझे कहोगे, तन्हा न कुछ सहोगे,
हर जनम यूं ही मिलना, मेरा सिंगार बन के
रिश्ते हैं यह तन मन के, आओ निभाएं मिलके,
आजा ओ मेरे साजन, बनके करार दिल्ली के.....
लेखिका
डॉ विदुषी शर्मा
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