भारतीय काव्यशास्त्र
भारतीय काव्यशास्त्र के बारे में कुछ विशेष जानकारी जो हमेशा ही प्रासंगिक है। इसीलिए आप सबके साथ साझा कर रही हूं।यह उन लोगों के बारे में है जो काव्यशास्त्र के स्तंभ माने जा सकते हैं। इसीलिए यह जानकारी सभी के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती है। प्रमुख काव्यशास्त्री संस्कृत काव्यशास्त्र की जो परंपरा भरतमुनि से शुरू होती है वह आचार्य पंडितराज जगन्नाथ तक चलती है. लगभग डेढ़-दो सहस्रा वर्षो का यह शास्त्रीय साहित्य अपनी व्यापक विषय- सामग्री, अपूर्व एवं तर्क-सम्मत विवेचन-पद्दति और अधिकांशतः प्रौढ़ एवं गंभीर शैली के कारण, तथा विशेषतः नूतन मान्यताओं के प्रस्तुत करने के बल पर भारतीय वाङ्मय में अपना विशिष्ट स्थान रचता है. कतिपय प्रख्यात एवं उत्पादक आचार्य का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है: 1. भरत मुनि भरत मुनि की ख्याति नाट्यशास्त्र के प्रणेता के रूप में है, पर उनके जीवन और व्यक्तित्व के विषय में इतिहास अभी तक मौन है। इस संबंध में विद्वानों का एक मत यह भी है कि भरतमुनि वस्तुतः एक काल्पनिक मुनि का नाम है। इन कतिपय मतों को छोड़ दे तो भरत मुनि को संस्कृत काव्यशास्त्र का प्रथम आचार्य माना जाता है। आचार्य
Comments
Post a Comment