पितृ पक्ष

🙏🍁‼️  पितृ पक्ष - तालिका ‼️🍁🙏
पितृपक्ष पारंभ 02 सितम्बर से 17 सितम्बर तक,
पूर्णिमा श्राद्ध - 2/9/20फ़ बुधवार।
▪प्रतिपदा श्राद्ध -    3/9/20  गुरुवार
▪द्वितीया श्राद्ध -     4/9/20  शुक्रवार
▪तृतीया श्राद्ध -       5/9/20  शनिवार
▪चतुर्थी श्राद्ध -        6/9/20  रविवार
▪पंचमी श्राद्ध -        7/9/20  सोमवार
▪षष्ठी श्राद्ध -           8/9/20  मंगलवार
▪सप्तमी श्राद्ध -       9/9/20  बुधवार
▪अष्टमी श्राद्ध -       10/9/20  गुरुवार
▪नवमी श्राद्ध -        11/9/20  शुक्रवार
▪दशमी श्राद्ध -        12/9/20  शनिवार
▪एकादशी श्राद्ध -    13/9/20  रविवार
▪द्वादशी श्राद्ध -       14/9/20 सोमवार
▪त्रयोदशी श्राद्ध -     15/9/20 मंगलवार
▪चतुर्दशी श्राद्ध -      16/9/20 बुधवार
▪अमावस श्राद्ध -     17/9/20 गुरुवार

पितृपक्ष में भूलकर भी ना करें ये गलतियां, पितरों की आत्मा हो जाती है नाराज

1 पितृपक्ष में सनातन धर्म के लोग अपने पितरों की पूजा-अर्चना और पिंडदान करते हैं। इस बार पितृपक्ष 2 सितंबर से शुरू हो रहे हैं और 17 सितंबर तक चलेंगे। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म और तर्पण किए जाते हैं। इसलिए इस पूजा को विधि-पूर्वक किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पिंडदान की पूजा में किसी भी तरह की लापरवाही से पितर नाराज हो जाते हैं। इसलिए इसको करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक माना गया है।  धयान रखे कि पितृपक्ष (Pitru Paksha) के दौरान आपको कौन सी चीजें ध्यान में रखनी चाहिए, जिससे आपकी पूजा बिना किसी गलती के पूरी हो सके…

2. ऐसे बर्तनों का ना करें प्रयोग

श्राद्ध कर्म के दौरान भूलकर भी लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। मान्यता के अनुसार, पितृपक्ष में लोहे के बर्तन के प्रयोग करने से परिवार पर अशुभ प्रभाव पड़ता है। इसलिए पितृपक्ष में लोहे के अलावा तांबा, पीतल या अन्य धातु से बनें बर्तनों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

3. न करें इनका प्रयोग

पितृपक्ष (Pitru Paksha) में पितरों के लिए श्राद्ध कर्म कर रहे हैं तो उस दिन शरीर पर तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए और ना ही पान खाना चाहिए। इसके साथ ही दूसरे के घर का खाना पितृपक्ष में वर्जित बताया है और इत्र का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।

4  न करें शुभ कार्य शुरू

पितृपक्ष (Pitru Paksha) में पूर्वजों को याद किया जाता है और उनकी आत्मा की शुद्धि के लिए पूजा की जाती है। इसलिए इस दौरान परिवार में एकतरह से शोकाकुल माहौल रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, साथ ही नई वस्तु की खरीदारी करना भी अशुभ माना गया है।

5 नहीं करना चाहिए इनका अपमान

पितृपक्ष के दौरान भिखारी या फिर किसी अन्य व्यक्ति को बिना भोजन कराएं नहीं जाने देना चाहिए। इसके साथ ही पशु-पक्षी जैसे कुत्ते, बिल्ली, कौवा आदि का अपमान नहीं करना चाहिए। मान्यता के अनुसरा, पूर्वज इस दौरान किसी भी रूप में आपके घर पधार सकते हैं।

6  पुरुष ध्यान रखें यह चीज

पितृपक्ष में जो पुरुष अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म करते हैं, उन्हें दाढ़ी और बाल नहीं कटवाना चाहिए। शास्त्रों में बताया गया है कि पितृपक्ष के दौरान दाढ़ी और बाल कटवाने से धन की हानि होती है क्योंकि यह शोक का समय माना जाता है।

7   पितरों के लिए ऐसा भोजन उत्तम

पितृपक्ष में घर पर बनाए गए सात्विक भोजन से ही पितरों को भोग लगाना उत्तम माना गया है। अगर आपको अपने पूर्वज की मृत्यु तिथि याद है तो उस दिन पिंडदान भी करना चाहिए। अन्यथा पितृपक्ष के आखिरी दिन भी पिंडदान अथवा तर्पण विधि से पूजा कर सकते हैं।

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