सुबूत

"सुबूत"

आज मैं बात करती हूं हमारे शरीर की। केवल एक शरीर की उसमें इतना कुछ है कि आप देखकर, पढ़कर हैरान हो जाएंगे। उसके बाद भी लोग यदि भगवान होने का सबूत मांगते हैं तो मुझे उनके ज्ञान पर, उनकी सोच पर, उनके संस्कारों पर हंसी आती है।

(क्यों हैरान करता है इंसान का शरीर, वैज्ञानिकों को)

अद्भुत है भगवान द्वारा रचित इंसान का शरीर, जिसका प्रत्येक अंग अपने आप में ही अजूबा है ।आइए जानते हैं इसके बारे में

*जबरदस्त फेफड़े*
हमारे फेफड़े हर दिन 20 लाख लीटर हवा को फिल्टर करते हैं. हमें इस बात की भनक भी नहीं लगती. फेफड़ों को अगर खींचा जाए तो यह टेनिस कोर्ट के एक हिस्से को ढंक देंगे.

*ऐसी और कोई फैक्ट्री नहीं*
हमारा शरीर हर सेकंड 2.5 करोड़ नई कोशिकाएं बनाता है. साथ ही, हर दिन 200 अरब से ज्यादा रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है. हर वक्त शरीर में 2500 अरब रक्त कोशिकाएं मौजूद होती हैं. एक बूंद खून में 25 करोड़ कोशिकाएं होती हैं.

*लाखों किलोमीटर की यात्रा*(रक्त)
इंसान का खून हर दिन शरीर में 1,92,000 किलोमीटर का सफर करता है. हमारे शरीर में औसतन 5.6 लीटर खून होता है जो हर 20 सेकेंड में एक बार पूरे शरीर में चक्कर काट लेता है.

* हृदय, धड़कन
एक स्वस्थ इंसान का हृदय हर दिन 1,00,000 बार धड़कता है. साल भर में यह 3 करोड़ से ज्यादा बार धड़क चुका होता है. दिल का पम्पिंग प्रेशर इतना तेज होता है कि वह खून को 30 फुट ऊपर उछाल सकता है.

*  आँखे ,सारे कैमरे और दूरबीनें फेल*
इंसान की आंख एक करोड़ रंगों में बारीक से बारीक अंतर पहचान सकती है. फिलहाल दुनिया में ऐसी कोई मशीन नहीं है जो इसका मुकाबला कर सके.

*नाक में एंयर कंडीशनर*
हमारी नाक में प्राकृतिक एयर कंडीशनर होता है. यह गर्म हवा को ठंडा और ठंडी हवा को गर्म कर फेफड़ों तक पहुंचाता है.

* मस्तिष्क,400 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार*
तंत्रिका तंत्र 400 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से शरीर के बाकी हिस्सों तक जरूरी निर्देश पहुंचाता है. इंसानी मस्तिष्क में 100 अरब से ज्यादा तंत्रिका कोशिकाएं होती हैं.

*जबरदस्त मिश्रण*
शरीर में 70 फीसदी पानी होता है. इसके अलावा बड़ी मात्रा में कार्बन, जिंक, कोबाल्ट, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फेट, निकिल और सिलिकॉन होता है.

*बेजोड़छींक*
छींकतेसमय बाहर निकले वाली हवा की रफ्तार 166 से 300 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है. आंखें खोलकर छींक मारना नामुमकिन है.

* तवचा, बैक्टीरिया का गोदाम*
इंसान के वजन का 10 फीसदी हिस्सा, शरीर में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से होता है. एक वर्ग इंच त्वचा में 3.2 करोड़ बैक्टीरिया होते है

*ईएनटी की विचित्र दुनिया*
आंखें बचपन में ही पूरी तरह विकसित हो जाती हैं. बाद में उनमें कोई विकास नहीं होता. वहीं नाक और कान पूरी जिंदगी विकसित होते रहते हैं. कान लाखों आवाजों में अंतर पहचान सकते हैं. कान 1,000 से 50,000 हर्ट्ज के बीच की ध्वनि तरंगे सुनते हैं.

*दांत *
इंसान के दांत चट्टान की तरह मजबूत होते हैं. लेकिन शरीर के दूसरे हिस्से अपनी मरम्मत खुद कर लेते हैं, वहीं दांत बीमार होने पर खुद को दुरुस्त नहीं कर पाते.

* लार ,मुंह में नमी*
इंसान के मुंह में हर दिन 1.7 लीटर लार बनती है. लार खाने को पचाने के साथ ही जीभ में मौजूद 10,000 से ज्यादा स्वाद ग्रंथियों को नम बनाए रखती है.

*झपकती पलकें*
वैज्ञानिकों को लगता है कि पलकें आंखों से पसीना बाहर निकालने और उनमें नमी बनाए रखने के लिए झपकती है. महिलाएं पुरुषों की तुलना में दोगुनी बार पलके झपकती हैं.

*नाखून भी कमाल के*
अंगूठे का नाखून सबसे धीमी रफ्तार से बढ़ता है. वहीं मध्यमा या मिडिल फिंगर का नाखून सबसे तेजी से बढ़ता है.

*तेज रफ्तार दाढ़ी*
पुरुषों में दाढ़ी के बाल सबसे तेजी से बढ़ते हैं. अगर कोई शख्स पूरी जिंदगी शेविंग न करे तो दाढ़ी 30 फुट लंबी हो सकती है.

*खाने का अंबार*
एक इंसान आम तौर पर जिंदगी के पांच साल खाना खाने में गुजार देता है. हम ताउम्र अपने वजन से 7,000 गुना ज्यादा भोजन खा चुके होते हैं.

*बाल
एक स्वस्थ इंसान के सिर से हर दिन 80 बाल झड़ते हैं. इनकी कुल संख्या बताना असंभव है

*सपनों की दुनिया*
इंसान दुनिया में आने से पहले ही यानी मां के गर्भ में ही सपने देखना शुरू कर देता है. बच्चे का विकास वसंत में तेजी से होता है.

*नींद का महत्व*
नींद के दौरान इंसान की ऊर्जा जलती है. दिमाग अहम सूचनाओं को स्टोर करता है. शरीर को आराम मिलता है और रिपेयरिंग का काम भी होता है. नींद के ही दौरान शारीरिक विकास के लिए जिम्मेदार हार्मोन्स निकलते हैं। नींद भगवान के द्वारा एक ऐसा दिया गया उपहार है जो पूर्णतया निशुल्क है और जिसको लेने के बाद हमारा शरीर पूर्णतया उर्जावान, शक्तिशाली ,बन जाता है ।
इसलिए भगवान ने दिन - रात का निर्माण किया और रात को ही को निद्रा का  प्रावधान रखा है कि दिन में हम अपने कर्म करें और रात्रि को निद्रा के द्वारा शरीर को, मन को आराम दें ताकि सुबह फिर अपने कर्म पर लौटा जा सके ।
इसके अलावा भी बहुत कुछ है जो हम जीते जी जान नहीं पाते, पहचान नहीं पाते। इसके बाद भी यदि "भगवान" होने के सबूत हम मांगेंगे तो अपने आप को, अपने अस्तित्व को कैसे समर्पित कर पाएंगे, अपने माता पिता को, अपने देश को और एक शक्ति को ।
यह तो हमें मानना ही पड़ेगा वह सर्वोच्च सत्ता है, वह निर्गुण है, निराकार है , परब्रह्म  है।

उसकी केवल एक कृति इंसान के शरीर में इतना कुछ है कि उसे समझने में ही हमें एक उम्र लग जाती है तो उसके द्वारा बनाए गए 8400000 योनियों के जीवन में क्या कुछ नहीं है। पूरी सृष्टि में क्या कुछ नहीं है ।कितनी घटनाएं इतना सब कुछ रोज हो रहा है, हर पल घट रहा है ,उसके बाद भी हम सबूत मांगते हैं तो धिक्कार है हमें अपने आप पर ।

सबूत मांगने के स्थान पर हमें  जितना समय हो, यथाशक्ति केवल "उसका" सम्मान करना चाहिए, उसकी रचना का सम्मान करना चाहिए, और शुक्र अदा करना चाहिए कि हमें उसने इतना सुंदर जीवन दिया। इतना स्वस्थ शरीर, इतना अमूल्य खजाना दिया है, तो क्यों ना हम प्रण लें कि आज से ही हम ज्यादा कुछ ना हो सके तो केवल सभी के लिए दुआ जरूर करें। किसी का अच्छा नहीं कर सकते तो किसी का बुरा ना करें। हमेशा नेकनीयती रखें। हम केवल अपने  कर्तव्य का पालन करें, अधिकार स्वयं मिल जाएंगे ।तो यह दुनिया स्वर्ग बन जाएगी। कहने को तो बहुत कुछ है लेकिन बस इतना भर हो जाए तो भी क्या कम है ।

       इसी आशा के साथ-----

संकलन और विश्लेषण कर्ता
डॉ विदुषी शर्मा

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