खजुराहो के मंदिर

खजुराहो के मंदिर की श्रृंखला में दूसरा मंदिर है विश्वनाथ मंदिर। इसमें भगवान विश्वनाथ यानी शिवलिंग रूप में विराजमान है। प्रत्येक मंडप में यहां बहुत सुंदर चित्रकारी और शिल्प कला, नक्काशी देखने को मिलती है ।नंदी मंडप में जब मैंने देखा तो नंदी जी की इसने विशाल प्रतिमा कि मन गदगद हो गया। बहुत सुंदर शांत वातावरण ऐसा लगता है जैसे ईश्वर का साक्षात्कार हो गया हो। यहां के मंदिरों की विशेषता यह है कि एक ही पत्थर के बनाए गए हैं और पता नहीं उन में कौन सी धातु मिलाई गई है कि अभी तक इतने मजबूत और चिकने है के सभी लोग, पर्यटक दांतो तले उंगली दबा लेते हैं। यहां की भव्यता सुंदरता देखते ही बनती है। मंदिर के कक्ष में जहां विश्वनाथ जी, की शिवलिंग की स्थापना है वहां पर रोशनी का इस तरह से प्रबंध किया गया है कि क्रॉस वेंटीलेशन के तहत बिना किसी रोशनी के अंदर आते ही शिवलिंग के दर्शन बहुत ही सुंदर प्रकार से हो जाते हैं क्योंकि दोनों तरफ की रोशनी शिवलिंग पर दिखाई देती है ।हर प्रकार के मंदिर के दरवाजे के बाहर अर्धचंद्र या सूर्य का बिंब पूर्ण गोला बनाया गया है। उसके दोनों तरफ शंख हैं। विश्वनाथ मंदिर के  मंडप के बाहर एक लिपि का चित्र भी दिखाई दिया जहां पर ओम नमः शिवाय बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा है। यानी तब तक हम यह लिपियां और भाषा बिल्कुल सही से पढ़ने और लिखना सीख गए थे। अनुसंधान का विषय है ।
कुल मिलाकर इस मंदिर की यात्रा भी अविस्मरणीय रही। खजुराहो में जो बात सबसे अच्छी लगी वह यह कि यहां पर किसी भी प्रकार के किसी पुजारी के दर्शन बहुत कम हुए और कहीं भी किसी ने दान- दक्षिणा के लिए मजबूर नहीं किया जैसा कि ज्यादातर हिंदू तीर्थों पर आजकल होता है कि आप को दान- दक्षिणा के लिए मजबूर किया जाता है। यदि हम ऐसा नहीं करते तो तरह-तरह की बातें बनाई जाती हैं और हमारी श्रद्धा और आस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाया जाता है। मैं यह पूछना चाहती हूं कि यदि जो लोग पैसा नहीं दे सकते या नहीं देते हैं क्या उनमें श्रद्धा नहीं है, ईश्वर में आस्था नहीं है? वे लोग इतनी दूर यदि इतना सब कुछ खर्च करके,अपने पीछे से हर तरह से व्यवस्था करके आए हैं तो क्या बिना आस्था ,बिना श्रद्धा के आए हैं? और यदि हम 50 ₹100 चढ़ा दे तो क्या वह श्रद्धा जाग जाएगी ?
इस तरह के कार्यकलापों से मन दुखी हो जाता है ।पर यहां ऐसा कुछ नहीं था जिसे देख कर मन को सुकून मिला। आप भी देखिए और दर्शन का आनंद लीजिए।
ॐ नाम:शिवाय

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